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तीन प्रेम

teen prem

सुमित त्रिपाठी

सुमित त्रिपाठी

तीन प्रेम

सुमित त्रिपाठी

और अधिकसुमित त्रिपाठी

     

    पहला प्रेम

    प्रेम की कठिन परीक्षाओं के लिए
    मैं ज़रा सुस्त और काहिल हूँ

    प्रेम को चाहिए एक घोड़ा
    या खेत जोतने वाला बैल

    हर दम चाबुक लिए
    वह सिर पर सवार है

    मैं कोई घोड़ा नहीं
    और अगर हूँ भी
    तो प्रेम मेरी सवारी क्यों करे

    दूसरा प्रेम

    प्रेम के हाथ में
    तलवार भी होती है

    वह तुम पर
    अपनी धार सही करेगा

    चाहो न चाहो
    वह तुम पर
    कुछ उकेर देगा—

    कोई फूल
    कोई मंत्र
    कोई शाप

    तुम जैसे हो
    वैसे ही निकल कर आओगे प्रेम में

    अंतिम प्रेम

    प्रेम की जगह
    कुछ रख दो

    ख़ाली पड़ी रही तो
    चींटियाँ घर बना लेंगी

    अपनी पुरानी क़मीज़ें
    यहाँ तह कर दो

    धूल के नीचे
    वे सुरक्षित रहेंगी

    असल में धूल है प्रेम
    जिसे तुम लापरवाही से झाड़ दोगे

    स्रोत :
    • रचनाकार : सुमित त्रिपाठी
    • प्रकाशन : सदानीरा वेब पत्रिका

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