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तीन आदमी

teen adami

अनुवाद : विष्णु खरे

चंद्रकांत पाटील

और अधिकचंद्रकांत पाटील

    तीन आदमी गए झूमते हुए माहिम की तरफ़

    उनमें से एक मुझे ऐसा आदमी लगा जो

    अपने ही सपने में मर गया था

    यानी मैंने उसका सपना देखा जो उसका था

    या कहो कि उस सपने की मीयाद में

    मैं वह बन गया

    उनमें से दूसरा सारे वक़्त शब्दों से जूझता था

    लाखों दिनों से वह उसी तरह जूझता था सड़क पर

    तो कोई ध्यान दिए बिना हम आगे चलते रहे

    क्योंकि उससे ज़्यादा उसके नुमाइशी शब्द

    और संसार के सारे शब्द अजायबघर में रखे

    भुस-भरे परिंदों की मानिंद लगते हैं

    तीन आदमी गए झूमते हुए सड़क पर

    उनमें से एक मैं था ऐसा बताया बाकी दो ने

    तो मैं क्यों करूँ इंकार और किस बात से।

    स्रोत :
    • पुस्तक : साठोत्तर मराठी कविताएँ (पृष्ठ 91)
    • संपादक : चंद्रकांत पाटील
    • रचनाकार : चंद्रकांत पाटील
    • प्रकाशन : साहित्य भंडार
    • संस्करण : 2014

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