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सुंदर लड़की

sundar laDki

अमिताभ चौधरी

अमिताभ चौधरी

सुंदर लड़की

अमिताभ चौधरी

और अधिकअमिताभ चौधरी

    …लड़की!

    रात को यह शहर होता है एक जंगल।

    रात को इस शहर की सड़कें होती हैं गुफाएँ।

    रात को यह शहर आदमी से हो जाता है सुनसान।

    लड़की!

    सुनसान गुफाओं में चमगादड़ पङ्ख फड़फड़ाते रहते हैं,

    अँधेरा ओढ़े।

    लड़की!

    चमगादड़ नहीं चाहते उजाला।

    वे जहाँ भी देखते हैं कुछ चमकता हुआ;

    पाँखें फड़फड़ाकर झपट्टा मारते हैं और

    पञ्जों से उसे आहत करने लगते हैं।

    …लड़की!

    …ओ सुंदर लड़की!

    रात को

    तुम घर से बाहर निकलो तो उरोजों को छाती पर कसकर निकलना।

    और—

    संभव हो तो हाथ में धारदार रखना। [यथा : नख बढ़े। और पैने।]

    सुंदर लड़़की!

    ओ, रात को घर से बाहर निकलने वाली सुंदर लड़की!

    रात में तुम्हारा चेहरा बहुत चमकता है!

    स्रोत :
    • रचनाकार : अमिताभ चौधरी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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