सूक्तियाँ पूर्ण सत्य नहीं होती
suktiyan poorn satya nahin hoti
योगेश कुमार ध्यानी
yogesh kumar dhyani
सूक्तियाँ पूर्ण सत्य नहीं होती
suktiyan poorn satya nahin hoti
yogesh kumar dhyani
योगेश कुमार ध्यानी
और अधिकयोगेश कुमार ध्यानी
सूक्तियाँ पूर्ण सत्य नहीं होती
वे रहती हैं
देश-काल-समाज-परिस्थिति जैसी
किसी-न-किसी शर्त की आड़ में
आड़ को पूरी तरह से नहीं हटाया जा सकता
ईश्वर को प्राप्त है हर चीज़ की आड़
यदि तुम उसे इस लोक से विस्थापित भी मान लो
तो कोई कह देगा
वह है आकाश के उस पार
तुम आकाश को कैसे हटाओगे
सत्य के सबसे क़रीब होती है वह बात
जिसे ख़ुद के समर्थन के लिए
सबसे कम आड़ की ज़रूरत हो
भूख सबसे क़रीब है सत्य के
ख़ुद को स्थापित करने के लिए
उसे सिर्फ़ इतना कहना है
यदि जीवन है तो मैं भी हूँगी।“
- रचनाकार : योगेश कुमार ध्यानी
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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