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विश्व सुंदरी पुल

vishv sundri pul

अरमान आनंद

अरमान आनंद

विश्व सुंदरी पुल

अरमान आनंद

और अधिकअरमान आनंद

    बनारस की गलियों में गुज़रते हुए

    घाटों की सीढियों पर घूमते हुए,

    मैंने देखा कि दुनिया भर से लोग यहाँ मरने आते हैं

    बनारस एक पुल है

    जो मर्त्य को अमर्त्य तक पहुँचाता है

    मृत्युंजय का यह शहर

    मृत्यु के इंतज़ार का शहर भी है

    एक ज़माने में जब डॉक्टरी

    समाज को भुलावा दे पाने में इतनी सक्षम नहीं थी

    तब विधवाएँ यहाँ कबीर गढ़ती थीं

    यहाँ आने वाला हर आदमी एक झुका हुआ सिर है

    और मदद में उठने वाला हर हाथ उस्तरा

    यह वह शहर है

    जहाँ तिरस्कृत तुलसीदास होता है

    और बहिष्कृत रैदास

    मौत कुछ दे दे निश्चिंतता तो ज़रूर देती है

    धतूरे-सी सुबहें

    भाँग के नशे-सी शाम

    जैसे किसी अंतहीन यात्रा पर निकली हों

    इसी बनारस में एक पुल रहता है

    विश्व सुंदरी पुल

    पुल को देखने के बाद मुझे कभी ऐसा नहीं लगा

    कि यह विश्व का यह सबसे सुंदर पुल है

    विश्व के तमाम धर्मों की तरह यह पुल भी एक धोखा है

    सुना है कल फिर एक औरत ने यहाँ से

    गंगा में छलाँग लगा दी

    अख़बार ने लिखा

    वह कूदने से पहले पुल पर थोड़ी देर टहली भी थी

    मन पूछता है कि टहलने के वक़्त क्या सोचा होगा उसने

    क्या उसने लड़ने के बारे में सोचा

    या जीवन-संग्राम से भाग जाना अधिक आसान लगा उसे

    किसी ने उसे लड़ना क्यों नहीं सिखाया

    लड़ना क्या सचमुच असभ्य हो जाना है

    क्या होता अगर

    मरने से पहले वह उसे मारकर मरती

    क्या सचमुच पति ही दोषी होगा

    हो सकता है

    सरकार की किसी योजना का शिकार हुई हो

    यह भी हो सकता हो कि किसी प्रेमी ने

    उसे अच्छे दिनों का झाँसा देकर

    पाँच साल तक किया हो यौन-शोषण

    ज़रूर किसी ने सच बता दिया होगा उसे

    ज़रूर उस कमबख़्त का नाम भूख होगा

    भूख खाने में बहुत माहिर है

    सब कह रहे हैं बच्ची बच गई उसकी

    कोई बात नहीं

    पुल का रास्ता दोनों तरफ़ से खुलता है

    फिर माँ सिखाकर तो गई ही है

    सहने और सहते हुए टूट जाने की कला

    जानते हो लोग मरने बनारस आते हैं

    और एक यह पुल है

    यहाँ मरने

    बनारस आता है

    स्रोत :
    • रचनाकार : अरमान आनंद
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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