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शब्द

Shabd

राहुल द्विवेदी

और अधिकराहुल द्विवेदी

    रिश्तों में दरकन

    हो ही जाती है अक्सर

    बिना समझे मुँह से

    निकले हुए शब्दों से

    बारहाँ कोशिश की उसने

    कि खोलूँ मैं भी अपना मुँह

    और भौंक पड़ूँ गली के

    कुत्तों की तरह

    पर मेरी चुप्पी उसकी

    आदमियत के लिए चुनौती बन गई

    वह जितना चिल्लाता

    उतना खीझता

    और मैं?

    चुपचाप उसके खीझने को

    देखता और फिर मुस्कुराता

    मेरी चुप्पी उसके शब्दों के

    व्याकरण को बदल दे रहे थे

    वह ज़हीन से जघन्य हो गया

    नहीं समझ पाया वह

    इतनी छोटी-सी बात :

    शब्द ही ब्रह्म है

    शब्द ही मर्म है

    और सबसे विशेष

    शब्द ही रह जाने हैं शेष।

    स्रोत :
    • पुस्तक : मै, तुम और ईश्वर (पृष्ठ 18)
    • रचनाकार : राहुल द्विवेदी
    • प्रकाशन : आपस पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स
    • संस्करण : 2022

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