अद्वैत
advait
खजुराहो में
'प्रेम' भाषा-ज्ञान के हस्तक्षेप से मुक्त है
और किस लिपि में लेख्य है कुछ पता नहीं
शब्द-विधान कहाँ सोख पाते हैं
प्रेम की दिव्यसरित को
ईश्वर के स्पर्श को लिखने का दुस्साहस
भला कोई कभी कर पाता है?
इतना अनंत, विस्तारित विषय है कि
प्रेम किसी से मात्र 'संबंध' न रहकर
निज का 'स्वभाव' बन जाता है
फिर, समय, दूरी, अलगाव के अवरोध
निरर्थक हो जाते हैं
कितनी रहस्यमयता है इन मार्गों पर
जहाँ कोई 'दूसरा' बचता ही नहीं
सब 'एक' में समाहित हो जाता है
गिनती तो द्वैतात्मिका का भाव है
और अंतरंगता में दो का काम नहीं
- रचनाकार : अनुजीत इक़बाल
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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