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सवाल

sawal

अनुवाद : ज्ञान सिंह

रामलाल शर्मा

और अधिकरामलाल शर्मा

    बोलो इसका उत्तर क्या है

    किंचित् मन से पूछ के देखो

    इस बतिया का उत्तर क्या है?

    जो मानव नील गगन में

    दूरेचर तारा मंडल तक

    मंगल शुक्र से भी आगे

    इतनी लंबी उड़ान भरे हैं

    बुहार के तारे बीच गगन से

    जी करे तो झोली भर ले

    उस मानव को आज तलक भी

    बीच डगर में मानवता की

    युगों-युगों से क्यों भला

    डग भरने का ढंग है आया

    जा रहा क्यों उलटे पथ पर

    मदमत्त-सा पाँव बढ़ाता

    किंचित् मन से पूछ के देखो

    इस बतिया का उत्तर क्या है?

    पानी आग हवा को जिसने

    बस में करके रख लिया है

    चंद्रलोक में रॉकेट भेजा

    निज धरा पर बैठे-बैठे

    स्वल्प-स्वल्प धड़का उसका

    चौकस इतना, झटपट सुन ले

    आज तलक वह मानव कैसे

    दर्द भरी आवाज़ किसी की

    क्यों कर है सुन वह पाया

    बाँधे है टक मूरत बनकर

    पर होंठ हिलाए माशा

    अचरज नहीं तो तुम्हीं बताओ

    इस बतिया का उत्तर क्या है?

    झाँक के देखो बाज़ारों में

    निश्चित दर है हर वस्तु की

    झलमल करते पत्थर सारे हैं

    अनमोल सभी से ज़्यादा

    नाग-स्वार्थ है चौतरफ़ा

    बैठ गया है कुंडल मारे

    ऊँचे-ऊँचे महल-मीनारें

    मेहनत जिसकी रचती आई

    सोता है क्यों भूमिहीन

    नंग-मनंगा पथ पर ऐसे

    किंचित् मन से पूछ के देखो

    इस बतिया का उत्तर क्या है?

    धरती का यह भेद अनूठा

    कण-कण में है ढूँढ़ रहा

    गहरे भेद छिपाए धरती

    छान लिए हैं नीले सागर

    जी आए तो ऊँचे पर्वत

    दे उड़ा यह मार के फूँका

    लिखकर इसने ग्रंथ अनेकों

    ढेल लगाया कोठी अंदर

    पर यह अक्षर प्रेम के ढाई

    क्यों इसको पढ़ना आए?

    ये किस काम के पुस्तक पोथे

    जिनमें से हैं लपटें झाँकें

    किंचित् मन से पूछ के देखो

    इस बतिया का उत्तर क्या है?

    कब तलक हैं शूल हज़ारों

    रहेंगे चुभते मन मंदिर में

    कब तलक है बैठे रहना

    शोकाकुल संताप लिए

    कौन कहे यह ओट में बैठा

    जगह सबके हेतु

    निःस्वार्थ संगीत निराला

    छेड़ें गर हम एक दफ़ा तो

    मदमाते फिर झरनों के से

    बिखरे गायन चहुँ दिशाएँ

    झिझके मानव क्यों, बतलाओ

    इस पथ पर डग है भरता

    किंचित् मन से पूछ के देखो

    इस बतिया का उत्तर क्या है?

    स्रोत :
    • पुस्तक : आधुनिक डोगरी कविता चयनिका (पृष्ठ 194)
    • संपादक : ओम गोस्वामी
    • रचनाकार : रामलाल शर्मा
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2006

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