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संवेदना और असंवेदना में उलझा हुआ एक प्रश्न

sanvedna aur asanvedna mein uljha hua ek parashn

धनंजय मल्लिक

धनंजय मल्लिक

संवेदना और असंवेदना में उलझा हुआ एक प्रश्न

धनंजय मल्लिक

और अधिकधनंजय मल्लिक

    मेरे हाथों एक जुगनू मारा गया

    और लगा कि जैसे

    दुनिया से थोड़ी रौशनी कम हो गई है

    मेरे हाथों एक चींटी मारी गई

    और ख़बर फैल गई कि

    पूरी दुनिया में अनेकता ने एकता पर

    एक और जीत दर्ज़ कर ली

    जब एक चिड़िया मारी गई

    तो लगा कि जैसे

    संगीत सिसक कर दुबक गई हो ध्वनि में

    मेरे हाथों एक अंकुरित बीज मारा गया

    और मैंने महसूस किया

    कि मुझे साँस लेने में दिक़्क़त हो रही है

    जिस तरह

    एक जुगनू

    एक चींटी

    एक चिड़िया

    और

    एक बीज मारा गया

    उस तरह अनजाने में नहीं मारा जाता है इंसान

    बल्कि उसे मार दिया जाता है

    प्रायोजित तरीकों से

    मनुष्यों के मारे जाने पर

    क्या कुछ नहीं कमता इस दुनिया से?

    स्रोत :
    • रचनाकार : धनंजय मल्लिक
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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