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संधान करें हम

sandhan karen hum

स्वाति मेलकानी

स्वाति मेलकानी

संधान करें हम

स्वाति मेलकानी

और अधिकस्वाति मेलकानी

    आओ, अपनी गतियाँ जोड़ें

    अपने-अपने विस्तारों को

    थोड़ा खीचें

    ओर छोर को जाँचें-परखें

    और वहाँ जो स्रोत छिपा था

    उसे दुबारा चिह्नित करके

    फिर से सींचें

    अपना वह प्रस्थान-बिंदु

    जिससे हम मिलकर साथ चले थे

    उसे खोजकर

    अपने पहले दो जोड़े पदचिह्नों को

    फिर झाड़ें-पोछें

    और धरती की परतों में

    कुछ नए फूल के पौधे रोपें

    नई दिशाओं का आओ संधान करें हम...

    वह चादर जो

    हमने तुमने फैलाई थी

    उसमें रंगों से कुछ सुंदर चित्र उकेरें

    पैबंदों के पास ज़रा-सी बेल काढ़ दें

    और फूलों के खिल उठने की

    आस करें फिर...

    समय हमारा था या उनका

    ऐसी बातें करने में भी

    समय बीत जाता है थोड़ा...

    शेष हमारे हाथ हमेशा ही रहता है

    आओ उससे नई यात्रा पर फिर निकलें

    आओ अपनी गतियाँ जोड़ें

    स्रोत :
    • रचनाकार : स्वाति मेलकानी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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