Font by Mehr Nastaliq Web

सन 1921 ईस्वी में बंबई के

san 1921 iswi mein bambai ke

अरुण कोलटकर

अरुण कोलटकर

सन 1921 ईस्वी में बंबई के

अरुण कोलटकर

और अधिकअरुण कोलटकर

    वाह गोविंदबुवा तुमने किया क्या कमाल

    भजन को दी तुमने बैंड बाजे की चाल

    ‘रूप पाहता’ पद का ख़ूब किया बदहाल

    परसों पुलिस कमिश्नर के दफ़्तर में होना

    यह जो विट्ठल सलोना यह जो माधव सलोना

    फेंक रहा था गोविंदबुवा विलायती तान

    विट्ठल मुंढे का अचानक लचका गिरेबान

    इतनी तेज़ी से मगर क्यों होना हलकान

    फ़िज़ूल ही चल रहा है वाह-वा वाह-वा कहना

    यह जो विट्ठल सलोना यह जो माधव सलोना

    केली साहब के सामने हुआ नाटक सटीक

    पेटी बजा रहा था आत्माराम खटीक

    अरे उसे करना था गिरफ़्तार उसी वक़्त ठीक

    कम से कम उसे बेचारी पेटी को तो छुड़ाना

    यह जो विट्ठल सलोना यह जो माधव सलोना

    अरे क्या बजाता है आत्माराम, पत्थर

    पड़ गई है पाँवपेटी खटीक के हत्थे

    ब्याँ ब्याँ करते एक साथ सारे सुर सत्ते

    अब भी सोचो अरे उसको फाँसी ही देना

    यह जो विट्ठल सलोना यह जो माधव सलोना।

    वाह भाई गोविंदबुबा यह कौन-सा राग

    सभी सुर निषिद्ध जिसमें उस गाने को लगे आग

    ताल है रबड़ का और राग है अनहोना

    यह जो विट्ठल सलोना यह जो माधव सलोना

    बंद करो गाना तुम्हें देता हूँ स्वराज

    पंचम को सुनते ही कहने लगा पंचम जार्ज

    मेरी दाढ़ी में हो रही है ज़बर्दस्त खाज

    कोई तो दो उस की दाढ़ी को खुजौना

    यह जो विट्ठल सलोना यह जो माधव सलोना

    साहब ने थपथपाई अपने हाथों से पीठ

    कहा, कल आओ, करो मेरे बाबू से भेंट

    देता हूँ तुम्हें एक उम्दा सर्टिफ़िकेट

    गोविंदबुवा को नहीं अब किसी का डरौना

    यह जो विट्ठल सलोना यह जो माधव सलोना

    मुट्ठी में साहब का पोंगलीदार काग़ज़

    जिस को तिस को दिखलाता घुँघराले दस्तख़त

    हैरान हो गए लोग मांडवी से वरली तक

    भले भले भले बलवंतबुवा का है कहना

    यह जो विट्ठल सलोना यह जो माधव सलोना

    (सन 1921 ईस्वी में बंबई के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर पैट्रिक केली ('केळी' साहब) के क्रॉफ़र्ड मार्किट के सामने वाले दफ़्तर में गोविंदबुवा द्वारा पेश हुए एक प्रयोगमूलक भजन का पूर्वग्रहग्रस्त वृत्तांत)

    स्रोत :
    • पुस्तक : शब्द सेतु (दस भारतीय कवि) (पृष्ठ 34)
    • संपादक : गिरधर राठी
    • रचनाकार : कवि के साथ चंद्रकांत पाटील एवं विष्णु खरे
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 1994

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए