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सफ़ेद चाक़ू की चमक

safed chaqu ki chamak

गुलज़ार हुसैन

गुलज़ार हुसैन

सफ़ेद चाक़ू की चमक

गुलज़ार हुसैन

और अधिकगुलज़ार हुसैन

    ऐसे डरावने समय में

    जब अपराध है जेब में पिस्तौल रख कर घूमना

    तब कुछ लोग जेब में चाक़ू रखकर टहलते हैं

    उनसे पूछिएगा, तो कहेंगे सफ़र में सेब, अनार और खीरा छीलने में आसानी रहती है

    कुछ लोग ब्लेड लेकर चलते हैं

    कहते हैं कि पेंसिल और नाख़ून दोनों का यह एक ही डॉक्टर है

    कुछ तो पिन और आलपिन पर्स में रखे होते हैं

    क्या पता कोई लेटर या अन्य पन्नों को जोड़ने की ज़रूरत हो

    अब लोग लाठी लेकर नहीं निकलते

    दो बित्ते का पेन लेकर शर्ट में खोंस लेते हैं

    कहते हैं कि देर रात रास्ते में आवारा कुत्तों और साँपों को डराने में यह ख़ूब काम आता है

    कई बार मैं टी.वी. पर किसी जगह

    तनाव फैलने की ख़बरों के बीच सोचता हूँ

    कि किसी बेहद तनावपूर्ण समय में

    इन आवश्यक धारदार और नुकीली चीज़ों की

    क्या उपयोगिता शेष रह जाएगी?

    मैं सफ़ेद चाक़ू की चमक और उसकी तेज़ धार के बारे में सोचते हुए डर जाता हूँ

    विशालकाय क़लम के दूसरे तरीक़े से इस्तिमाल की बात सोचकर

    बहुत ज़ोर से आँखें भींच लेता हूँ

    लेकिन मैं जानता हूँ

    इन धारदार-नुकीली चीज़ों को लेकर

    इधर-उधर जाना उतना ख़तरनाक नहीं है

    जितना ज़हर की घोल और एसिड से भरी बोतल लेकर घर से निकलना

    और एसिड से भरी बोतल लेकर निकलने से भी

    ज़्यादा ख़तरनाक है

    मन में किसी के लिए नफ़रत भर कर मुस्कुराना

    स्रोत :
    • रचनाकार : गुलज़ार हुसैन
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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