सभी के बीच हत्याएँ होती हैं
sabhi ke beech hatyayen hoti hain
सभी के बीच हत्याएँ होती हैं
ख़ूबसूरत शहर इसी तर्ज़ पर बनते हैं
हम उन्हीं आँखों से देखते हैं
जो उन्माद और संयम से भरी हों
विचार एक प्रक्रिया है जो पेड़ों
और समुद्र में सबसे ज़्यादा चलती है
अधूरे सवाल शहर की दुर्गति में शामिल रहते हैं
मक्खियाँ भंग करती हैं अपनी एकाग्रता
उनमें कोई आदर्श नहीं होता
फिर भी वे क़रीब से जानती हैं
परित्यक्त चीज़ों को
शहर को जानना चाहिए
मक्खियों के बारे में
जब वे भिनभिनाती हैं
और ख़ाली हाथ फटकते हैं
अपनी अहिंसा छोड़कर!
- रचनाकार : नीलोत्पल
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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