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साँझ में

saanjh mein

रमेश क्षितिज

रमेश क्षितिज

साँझ में

रमेश क्षितिज

और अधिकरमेश क्षितिज

       
    बैठा हुआ है दरीचे पर एक उदास चेहरा
    हौले-हौले उफ़ूल होते आफ़ताब
    और धुँधली होती पूरब-पश्चिम की राह को देखते
     
    मुरली बजाते हुए एक युवक
    गुज़र रहा है पहाड़ की पगडंडियों में
    शांत तालाब के किनारे पर बैठकर
    प्रेमिका से जुदा हुआ एक युवक
    देख रहा है पानी में लहराती धूप की कोमल किरणें
    और कर रहा है बीते लम्हों को याद—साँझ में
     
    हवाओं की पदचाप को सुनकर त्रस्त हैं
    फूलों के चेहरे
    ऐसे हालात में परदेसी शौहर को याद कर
    आँगन में बैठी है इक गृहिणी
    थोड़ी दूर मुसलसल रो रहा है पानी मिल
    पहाड़ो पर पतंग उड़ा रहें हैं बच्चे—साँझ में
     
    ख़ुसुर-फुसर सुनाई देता है शोर-शराबा
    बराँडे में खाँसते बैठा हुआ है वो बुढ़ऊ
    फाटफूट रास्ते में चल रहे मौन हैं लोग
    बाँस की झाड़ी पर चहक रही हैं चिड़ियाँ
    कंचे खोने से वो स्कूल का लड़का
    इधर-उधर ढूँढ़ रहा है स्कूल के आगे मैदान में—साँझ में
     
    गाँव के ऊपर चाय की दुकान पर
    भीड़ है लोगों की
    आधे खेल रहे हैं ताश
    आधे कर रहे हैं गपशप गाँवों के राजकुलों की
    हिंसा/आतंक की
    सालाना खेती और सरकारी विकास की
    धूप का दुपट्टा ओढ़ के हिमालय
    किंतु ख़ामोश है—साँझ में                
     
    गालों से बही आँसू की लकीर-सी दिखती है
    दूर बहती हुई दुबली नदी
    पनघट से गगरी भरकर आ रही है पनिहारिन—साँझ में
     
    ऊँची आवाज़ में बज रहा रेडियो कंधे पर लिए
    अकेले चल रहा है एक देहाती
    अभी-अभी हैल्थपोस्ट का किवाड़ बंद करके जा चुका
    चपरासी—जो डॉक्टर है यहाँ का
    खड़ा है ठेके के बाहर
    और दिनभर चौपाया चराकर
    लौट रही है घर छोटी बच्ची—साँझ में
     
    इस वक़्त – मैतीदेवी की गली से होते हुए
    अंदर घुसते ही
    इक तहख़ाने-से छोटे कमरे में
    स्टोव है इक कोने पर
    बाँस का रैक है और हैं सिल्वर के बर्तन
    दूसरे कोने में हैं कुछ किताबें
    छोटा चाइनीज़ रेडियो
    और खाट के नीचे हैं टीन के कबाड़ी कनस्तर
     
    खाट पर लेटकर मैं याद कर रहा हूँ
    गाँव की कविता—साँझ में!
    स्रोत :
    • रचनाकार : रमेश क्षितिज
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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