रुद्रावतार-22
rudrawtar 22
“एकादश—रुद्र—रूप का परिकल्पन—
प्रभु की लीला-हित करता हूँ
नव शाशवत रंग अब भरता हूँ
बिंबित आदर्श करे ऐसा दरपन—
एकादश—रुद्र—रूप का परिकल्पन—
“इसलिए हे देवी! मैं अपने ग्यारहवें रूप को प्रभु की लीला में सहयोग के लिए संकल्पित करते हुए सृजित करना चाहता हूँ। मेरा यह एकादश रूप पृथ्वी पर आदर्श का प्रतिरूप बनेगा। उसके कार्यों के दर्पण में लोक सर्वश्रेष्ठ आदर्श की छवि देखेगा।''
- रचनाकार : उद्भ्रांत
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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