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रुचियों में अंतर

ruchiyon mein antar

स्नेहमयी चौधरी

स्नेहमयी चौधरी

रुचियों में अंतर

स्नेहमयी चौधरी

और अधिकस्नेहमयी चौधरी

    उसकी और मेरी रुचियों में कितना अंतर है!

    मुझे पसंद है

    गुनगुनी जाड़े की धूप, खुला रेस्त्राँ और कॉफ़ी...

    उन्हें लोगों से घिरकर बातचीत।

    मुझे पसंद है

    कमरों के रंग, क़ालीनों की डिज़ाइनें,

    बच्चों के स्वेटर की खोज...

    उन्हें ‘नॉन इंटेलेक्चुअल’ काम निहायत नापसंद।

    मुझे पसंद है

    आपस में छोटी-छोटी रुचियों की

    जानकारी बढ़ाते रहना...

    उन्हें ऐसा करना बेमानी लगता है।

    मुझे पसंद है

    अपने को पहचानना...

    उन्हें इससे आँख चुराकर दूसरों को पकड़ना।

    मुझे पसंद है

    पहाड़ियों, घास के मैदानों, झरनों के पास

    अनकहे शब्द सुनना...

    उन्हें एकांत ‘डल’ बना देता है।

    फिर भी

    हमें एक-दूसरे के साथ रहना कितना पसंद है!

    स्रोत :
    • पुस्तक : पूरा ग़लत पाठ (पृष्ठ 51)
    • रचनाकार : स्नेहमयी चौधरी
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 1976

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