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महाभारत

mahabharat

श्रीविलास सिंह

महाभारत कथा नहीं

सत्य है हमारे समय का

और हर उस समय का

जहाँ कंफ़्यूज़्ड प्रतिबद्धताएँ,

मिसप्लेस्ड आस्थाएँ,

मूल्यहीनता और अवसरवाद

हों जीवन के मानदंड।

जब बंद हो धृतराष्ट्र की आँखें

न्याय की ओर से,

देवव्रत व्यवस्था के पोषण को मान ले अपना धर्म।

आचार्य द्रोण का कर्तव्य

पेट पालने की मजबूरी के आगे हो नतमस्तक

तैयार हो जाती है पृष्ठभूमि महाभारत की।

दुर्योधन और दुःशासन

असली खलनायक नहीं

वे तो मुहरे मात्र हैं शकुनी की मुट्ठी के।

अर्जुन और एकलव्य होते हैं शिकार

एक ही व्यवस्था के

जो बाँध लेती है पट्टी

अपनी आँखों पर गांधारी की तरह।

अपने अपमान से क्षुब्ध द्रौपदी

भूल जाती है कि

दूसरों की जाति और विकलांगता पर व्यंग्य करते

उसके संस्कारों की ही चरम परिणति है

महाभारत

जो कथा नहीं

सत्य है संभवत:

हमारे समय का भी।

स्रोत :
  • रचनाकार : श्रीविलास सिंह
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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