Font by Mehr Nastaliq Web

रज़ाई

razai

विजया सिंह

और अधिकविजया सिंह

    बुढ़ापे की पहली निशानी है

    नाख़ूनों के नीचे गंदगी का जम जाना

    बूढ़े लोग हाथ धोने से कतराते हैं

    उन्हें ठंड ज़्यादा लगती है

    रज़ाई उन्हें दुनिया की सबसे शानदार जगह लगती है

    वे उसे लेकर निकल पड़ते हैं

    और घर के अंदर ही रज़ाई के एक मामूली से मोड़ से

    कभी पहाड़, कभी दरिया, कभी दरख़्त बन जाते हैं

    ऐसा नहीं, कि उन्हें दुनिया की सैर में कोई दिलचस्पी नहीं

    पर रज़ाई को हर जगह नहीं ले जाया जा सकता

    ख़ासकर हवाई जहाज़ पर तो बिल्कुल नहीं

    फिर रज़ाई चाल को बहुत धीमा कर देती है

    पेरिस में लूव्र के अंदर रज़ाई ले जाने की सख़्त मनाही है

    उसी तर्ज़ पर न्यूयॉर्क, लंदन, एम्स्टर्डम के हर अजायबघर में

    रज़ाई को बाहर ही छोड़ने के निर्देश हैं

    दुनिया के हर दर्शनीय स्थल को रज़ाई से ख़ास चिढ़ है

    नियाग्रा फ़ाल्स की हवाएँ रज़ाई को उड़ा देना चाहती हैं

    साओ पाउलो के नर्तक रज़ाई पर कड़े फूलों और तितलियों पर नज़र गड़ाए हैं

    उन्हें फूल गजरों के लिए और तितलियाँ जूड़ों के लिए चाहिए

    किसी अदृश्य नगाड़े की थाप पर वे बढ़ते रहे हैं

    उनके थिरकते क़दम रज़ाई को रौंद देना चाहते हैं

    उनके सुंदर शरीर काँसे की मूर्तियों से भी अधिक लोच लिए हैं

    उन्होंने सजाने की हर चीज़ सिरों, कलाइयों और पाँवों में पहनी हैं

    सूरज की रोशनी, चाँदनी, हवाएँ और बरसात

    उनके उघड़े शरीर के आमंत्रण को गहरी कृतज्ञता से चख रही हैं

    रज़ाई की नरम रूई का भरोसा अभी उनके अथके विचारों को नहीं

    अभी उन्होंने जाने नहीं है, उसके प्रतीकों के गूढ़ रहस्य

    आम का पेड़, उस पर बैठा तोता और नायिका के हाथों में पत्र

    उनके लिए ख़ास मायने नहीं रखते

    अनकही से अधिक उन्हें कही में विश्वास है

    कही की तलाश में वे मंगल ग्रह तक जा पहुँचे हैं

    जबकि रज़ाई अनकही की सम्राज्ञी है

    जो जीवन की कठिन से कठिन घड़ी को नींद को सौंप देना चाहती है

    समस्याओं के हल वह गूढ़ फ़लसफ़ी की भाषा में नहीं

    सपनों की विखंडित उक्तियों में हम तक पहुँचाती है

    सच तो यह भी है कि सिनेमा का पर्दा उसकी ही ईजाद है

    पहला चलचित्र रज़ाई के भीतर आँखों के बंद पर्दे पर ही तो देखा गया था

    नवग्रह उसकी मुट्ठी में झिलमिलाते तारों से अधिक कुछ नहीं

    यह बात किसी इतिहास में दर्ज नहीं

    कि रज़ाई या उससे मिलती-जुलती चीज़ दुनिया के हर आविष्कार की तह में है

    उसकी नर्म आँच दुनिया की हर निर्ममता का प्रतिकार करने में सक्षम है

    यह सच्चाई यातनागृहों के प्रभारी सबसे बेहतर समझते हैं

    और नींद से वंचित रखते हैं उन्हें, जिन्हें वे सबसे ज़्यादा सताना चाहते हैं।

    स्रोत :
    • रचनाकार : विजया सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए