रास्ते
raste
इन दिनों साफ़ करती हूँ—
घर के सब कोनों को
जिन्हें कभी नहीं देखा
उन्हें देख रही हूँ
मेरे घर में मेरे सिवा सन्नाटे की चादर
बुनते रहते हैं कुछ लोग
एक जाला बुनता हुआ जीव है
बुनता है हर एक कोने में झटपट जाला
और करता है प्रेम से उस कीट की प्रतीक्षा
जिसके फँसने के बाद मिटेगी उसकी भूख
मैं ख़ुद को अक्सर किसी जाले में उलझी हुई पाती हूँ
हाथ छुड़ाओ तो पैर उलझ जाते हैं
पैर छुड़ाओ तो हाथ
कभी-कभी खीझ कर दाँत से काट देना चाहती हूँ उस जाले को
नन्ही चुहिया की तरह और रात की बची रोटी का टुकड़ा फँसाकर चूहेदानी में
चाहती हूँ फँस जाए चुहिया
कुछ रोटी के टुकड़ों में फँसी मैं
छटपटाते हुए खोजती हूँ रास्ता
इस दुनिया में बहुत से रास्ते हैं
पहाड़ों से लेकर जंगल
मैदानों से गुज़रकर
समुद्र की छाती चीर कर
हवा में उड़कर
चले जाते हैं लोग न जाने किस-किस देश
मेरे हिस्से कोई रास्ता नहीं
मुझे नहीं बताई गई रास्ते की परिभाषा
मैं नहीं जानती किसी रास्ते का इतिहास और भूगोल
इन दिनों साफ़ कर हर कोने के जाले घर के
मैं निकलना चाहती हूँ एक नई दुनिया की खोज में...
- रचनाकार : सोनी पांडेय
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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