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राज बदल गया हमको क्या

raj badal gaya hamko kya

गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद'

गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद'

राज बदल गया हमको क्या

गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद'

इस ओर पड़ी ना सुख की छाँव

राज बदल गया हमको क्या?

नेता कहते राज अपन का, अँग्रेज़ों से पीछा छूटा

साधक घोखें नमो-नरायन, दुःख-दरिद्र का ताँता टूटा

बनिए की पौड़ी पौबारा, पहरेदार की आँखें फूटीं

गोबरिया भांबी के घर से भरे पेट की आशा रूठी

साधक खाए दूध मलाई, गोबर बिलखे हमको क्या

इस ओर पड़ी ना सुख की छाँव,

राज बदल गया हमको क्या?

भने-गुने भक्तों में खोए, बड़ा हुक्म खादी में लीन

निर्बल नेता की छाया में, मुजरा-ख़ोर मुसाहिब तीन

देशभक्त अँगुलि चिरवाकर, बन योद्धा सिरमौर प्रवीण

हलधारी नत-सिर जीवन भर, बोझ उठाए गड़ा ज़मीन

नव नवाब को खीर गुनगुनी, बड़िया झींके मुझको क्या?

इस ओर पड़ी ना सुख की छाँव

राज बदल गया हमको क्या ?

बापूजी की फ़ौज बिखर गई, तेरह-तीन हुए वाहेले

चंदा-चोर चढ़े सिर माथे, फंदाख़ोर हुए सब चेले

धंधेबाज़ धाड़वी बन कर, सूदखोर नित करें झमेले

योद्धाओं ने किया किनारा, आगीवान हुए सब पगले

नेताजी के मोटर आई, नूरा बांगे हमको क्या?

इस ओर पड़ी ना सुख की छाँव

राज बदल गया हमको क्या?

जनसेवक बन गए पुतलियाँ, निकले सिंह जीव के कच्चे

खेत गँवा अपने हाथों से, सिटपिटियों के सपने सच्चे

भुलावे पड़ी कमाऊ दुनिया, क़लम-सेठ के खाए तमाचे

बाबूजी दो दिन से भूखे, सूखा पेट, बैठ गए बाचे

कुँवर सेठ के खाए मलाई, मुन्ना रोए हमको क्या?

इस ओर पड़ी ना सुख छाँव

राज बदल गया हमको क्या?

दस पीढ़ी की खरी कमाई, कांग्रेस वणिकों के बिक गई

धन-लालच से जन-नेता के बीच खेत में गोड़न टिक गई

नक़द नफ़े की भरम-भाड़ में, कमतरियों की काया सिक गई

पंडतजी ने पोथी पटकी, लेख विमाता खोटे लिख गई

आडंबर को भेंट सवाई, जनता झींके हमको क्या

इस ओर पड़ी सुख की छाँव

राज बदल गया हमको क्या?

छल-कपट कण-कण में रम गया, भली चाल भाँड़ों में मिल गई

कामगारों की कठिन कमाई, बनियों की डाढ़ों में झिल गई

भटके फिरें सयाने सावंत, अनबूझों को गद्दी मिल गई

धन वालों की धींग-धाक से, बल वालों की जीभ निकल गई

सेठों के घर नक़द कमाई, लोग बिसूरें हमको क्या?

इस ओर पड़ी सुख की छाँव

राज बदल गया हमको क्या?

स्रोत :
  • पुस्तक : आधुनिक भारतीय कविता संचयन राजस्थानी (1950-2010) (पृष्ठ 22)
  • संपादक : नंद भारद्वाज
  • रचनाकार : गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद'
  • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
  • संस्करण : 2012
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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