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प्यार बिना शर्तों के

pyar bina sharton ke

लीना मल्होत्रा राव

लीना मल्होत्रा राव

प्यार बिना शर्तों के

लीना मल्होत्रा राव

और अधिकलीना मल्होत्रा राव

    मैं एक पारदर्शी अँधेरा हूँ

    इंतज़ार कर रहा हूँ अपनी बारी का

    रात होते ही उतरूँगा तुम्हारे कंधों पर

    तुम्हारे बालों के वलय की घुप्प सुरंगें रार करती हैं मुझसे

    तुम एक ही बाली क्यों पहनती हो प्रिये

    आमंत्रण देती है मुझे ये

    एक झूला झूल लेने का

    और यह पिरामिड जहाँ से

    समय भी गुज़रते हुए अपनी चाल धीमी कर लेता है

    हवाओं को अनुशासित करते हैं

    और हवाएँ एक संगीत की तरह आती-जाती रहती हैं

    जिसमें एक शरद ऋतु चुपचाप पिघल कर बहती रहती है

    तुम्हारी थकी-मुँदती आँखों में तुम्हारे ठीक सोने से पहले

    मैं चमकते हुए सपने रख देता हूँ

    और अपनी सारी सघनता झटक कर पारदर्शी बन जाता हूँ

    ताकि मेरी सघनता तुम्हारे सपनों में व्यवधान प्रस्तुत कर दे

    क्या तुमने सोते हुए ख़ुद को कभी देखा है?

    निश्चिंत... अँधेरे को समर्पित

    असहाय... पस्त... नींद के आग़ोश में गुम

    सपने भी वही देखती हो जो मैं तुम्हें परोसता हूँ

    और तुम्हारी देह के वाद्यों से निकली अनुगूँज को नापते हुए

    मेरी रात गुज़र जाती है

    और मैं तुम्हारा ही एक उपनिवेश बनकर

    ग़र्क़ हो जाना चाहता हूँ तुम्हारे पलंग के नीचे

    तुम्हें उठना है सूरज के स्वागत के लिए तरोताज़ा

    भागती रहोगी तुम शापित हाय

    सूरज के पीछे

    और मैं सजाता रहूँगा पूरा दिन वो सपने जो दे सकें तुम्हें ऊर्जा

    देखा कितना सार्थक है मेरा होना तुम्हारे और सूरज के बीच में धरा

    क्या तुम मुझे पहचानती हो

    मैं हर बार उतरा हूँ तुम्हारे क़दमों में

    और पी गया हूँ तुम्हारी सारी थकान

    और अनंतकाल से मैं सोया नहीं हूँ

    जबकि तुम अनंतकाल से भाग रही हो सूरज के पीछे

    और तब जब भूल जाती हो मुझे एक स्वप्न की तरह

    मैं लैम्पपोस्ट के नीचे खड़ा होकर प्रतीक्षा करता हूँ तुम्हारी

    प्यार करता हूँ बिना शर्तों के।

    स्रोत :
    • पुस्तक : मेरी यात्रा का ज़रूरी सामान (पृष्ठ 104)
    • रचनाकार : लीना मल्होत्रा राव
    • प्रकाशन : बोधि प्रकाशन
    • संस्करण : 2012

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