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पुल का काम

pul ka kaam

शंकरानंद

शंकरानंद

पुल का काम

शंकरानंद

और अधिकशंकरानंद

    जैसे इस पुल का काम अधूरा है

    उसी तरह असंख्य पुल अभी तक बन नहीं पाए

    जबकि उन्हें बनना था तय समय के भीतर

    इसके लिए पुल बनाने का सामान लाया गया कई बार

    मज़बूत और भारी लोहे लाए गए पत्थर के साथ

    सारी की सारी तैयारी हुई और काम बंद हो गया

    कारीगर बेरोज़गारी में कुछ और करने लगे

    मज़दूर कहीं और चले गए

    जबकि सब कुछ तय है तारीख़ों के अनुसार और कमी नहीं कोई

    फिर भी तैयार नहीं हो रहे पुल

    जाने कौन-सी मुश्किल जाती है

    कि बहुत तेज़ी से चलने वाला काम ठप हो जाता है सहसा

    मैं सोच रहा हूँ कि आख़िर क्यों नहीं तैयार हो रहे हैं पुल

    इन दिनों जबकि खाई पर खाई बनती जा रही है

    छोटी दूरियाँ भी ख़त्म होने का नाम नहीं लेतीं

    इस पार और उस पार के लोग दुश्मन बन गए हैं एक दूसरे के

    इस हद तक कि उनकी शक्ल तक नहीं देखना चाहते

    ऐसे में बहुत ज़रूरी है एक पुल जो मिलने के मौक़े दे

    जो हर दूरी को ख़त्म करे

    उन्हें मिला दे जिन्हें कब का एक हो जाना था

    पर वे एक नहीं हुए और तबाह होते रहे

    इतना ज़रूरी होने के बावजूद

    कोई है जो पुल को पसंद नहीं करता

    वह एक तरफ़ बना रहा है खाई के बाद अनगिन खाई

    और दूसरी तरफ़

    बहुत चालाकी से अधूरा छोड़ रहा है हर पुल

    जैसे ही पूरा होने को होता है

    वह पुल बनाने का काम छोड़ देता है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : शंकरानंद
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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