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प्रकृति-वन्दन

prkriti vandan

जुमई खाँ 'आजाद'

जुमई खाँ 'आजाद'

प्रकृति-वन्दन

जुमई खाँ 'आजाद'

और अधिकजुमई खाँ 'आजाद'

    तोहका सौ-सौ नमन् तोहका सौ-सौ नमन।

    धरा गगन कली सुमन

    कौने साँचा मा ढारिउ सँवारिया चमन

    तोहका सौ-सौ नमन, तोहका सौ-सौ नमन।

    जेहिकै बगिया बन सींचे गंगो-जमन

    सत्य उतरै जहाँ भोर होतइ सपन

    तोहका सौ-सौ नमन, तोहका सौ-सौ नमन।

    सोन—चाँदी—रतन जौनी माटी कै कन

    अन्न उगिलइ धरा, खायँ दुनिया के जन

    तोहका सौ-सौ नमन, तोहका सौ-सौ नमन।

    दूध—मिसरी—मखन खाय पिंजरा सुगन

    स्वर्ग पूछइ बतावा देसवा कवन

    तोहका सौ-सौ नमन, तोहका सौ-सौ नमन।

    तोहरा सुन्दर सृजन देखिके मन मगन

    सारी दुनिया से न्यारा हमरा वतन

    तोहका सौ-सौ नमन, तोहका सौ-सौ नमन।

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