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प्रकृति से प्रेमी

prakrti se premi

विशाखा मुलमुले

विशाखा मुलमुले

प्रकृति से प्रेमी

विशाखा मुलमुले

और अधिकविशाखा मुलमुले

    जैसे ही कोहरे की चादर हटती

    वे उपस्थित हो जाते दृश्य में

    और निहारने लगते जलप्रपात

    जैसे ही कोहरे की चादर बिछती

    वे दृश्य में अनुपस्थित हो

    चूम लेते इक दूजे को

    बाहर और भीतर

    दृश्य और अ-दृश्य में

    बह रहा था प्राकृतिक झरना

    और

    वे दोनों थे प्रकृति से प्रेमी!

    स्रोत :
    • रचनाकार : विशाखा मुलमुले
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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