Font by Mehr Nastaliq Web

पिता एक असफल अर्थशास्त्री थे

pita ek asaphal arthashastri the

यशवंत कुमार

यशवंत कुमार

पिता एक असफल अर्थशास्त्री थे

यशवंत कुमार

और अधिकयशवंत कुमार

    उनके पास हँसी का तालाब था

    बुआ जब भी आती थीं

    हँसते हुए आती थीं

    माँ पहले पीतल की परात में

    उनके पैर धोती थीं

    फिर चाय-नास्ता तैयार करती थीं और

    रात में उनके पूरे शरीर की मालिश करती थीं

    बुआ माँ की कर्मठता पर ख़ुश होते हुए कहतीं

    'आज हमार कुल पीरा निकरि गय बहिनी'।

    दिन में जब हम बुआ के साथ

    खेतों पर जाते थे तो वो कभी नहीं कहती थीं कि

    इन खेतों में उनकी भी हिस्सेदारी है

    बल्कि खिली हुई फसल देखकर

    वो लहलहा उठतीं और

    अपने बचपन की यादों में पछाड़ें खाने लगतीं

    तमाम कहानियाँ सुनातीं कि कैसे

    एक बार तालाब में डूबते हुए पिता को

    उन्होंने बचाया था

    कैसे चाचा की शादी पर नाचते हुए उन्हें

    भवानी सवार हुई थीं

    बुआ जब जाने को होती थीं

    माँ उनकी साड़ी के लिए पिता से ज़िद करतीं

    और तमाम चीज़ों की गठरियाँ तैयार करती थीं

    ठोकवा और परमल

    भेली और लाई

    गुड़ और सिरका की गठरियाँ

    बुआ जब भी आती थीं

    पिता की अर्थव्यवस्था बिगड़ जाती थी

    पिता एक असफल अर्थशास्त्री थे

    जाने से पहले उन्हें नई साड़ी पहनाई जाती

    दीदी उनके बालों में जूड़े बाँधती और

    भाभी उनके पल्लू संवारती और पैरों में रंग लगातीं

    मां अपनी कर्मठता के संग्रहालय से

    एक बार फिर पीतल की वही परात बाहर निकालती थीं

    माँ के साथ हम लोग उन्हें छोड़ने वहाँ तक जाते

    जहाँ से उन्हें अंतिम जीप मिलती थी

    जीप में चढ़ने से पहले माँ और बुआ

    छककर रोती थीं

    खलासी रोते हुए

    उनके रोने पर झल्ला जाता था

    उनके पास आँसुओं का समंदर था

    बुआ जब भी जाती थीं

    रोते हुए जाती थीं।

    स्रोत :
    • रचनाकार : यशवंत कुमार
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए