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फूलों में खिलती थी

phulon mein khilti thi

अनुवाद : मधु शर्मा

अरणिमाल

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फूलों में खिलती थी

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    फूलों में खिलती थी—

    चंदन के तेल से मैं

    धोती इस देह को जब,

    ये सब चुराए मेरे प्यार ने

    दिल की बगिया में मेरे

    फूले थे फूल नए

    सोचा था जा पकडूँ मैं

    बेख़बरे यार को

    सिर पे सजा दूँ उसके

    फूलों के ताज को

    पर, ये सब चुराए मेरे यार ने।

    स्रोत :
    • पुस्तक : हब्बा ख़ातून और अरणिमाल के गीत-गान (पृष्ठ 58)
    • रचनाकार : अरणिमाल
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 2015

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