पेड़ हलाक होते हैं, शहीद नहीं
peD halak hote hain, shahid nahin
एक
निर्माण शुरू होते ही नोटिस लग गया है
तीन साल के दरमियाँ
वहाँ एजुकेशन बिल्डिंग बनेगी
पुराने लोग बताते हैं
इससे पहले तकनीकी शिक्षा की बिल्डिंग बनाते समय
क़ब्रिस्तान से उखाड़े गए थे गड़े मुर्दे
इकट्ठा करके जला दिया गया था कंकालों का ढेर
पेड़ों का ज़िक्र वे लोग भी नहीं करते
जबकि मुर्दों के इर्द-गिर्द भी होते हैं ज़िंदा पेड़
तकनीकी विज्ञान के पढ़ाकू
कभी-कभी डरकर उल्लेख करते हैं
क़ब्रों की नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव का
पेड़ों के बिछोह को उनके फेफड़े भूले रहते हैं
तीन साल बाद नई बिल्डिंग बनने पर
मैं यहाँ नहीं रहूँगा शायद
और अभी से न रहे मेरे प्यारे पेड़ों
तुम शहीदों में नहीं गिने जाओगे
दो
इमारत के निर्माण के लिए
धरती समतल करने को
उन्होंने काट डाला
बाँसों का झुरमुट
आँधी और बरसात के समय
उन बाँसों की चीत्कार से
जो लड़की डर जाती थी
सबसे ज़्यादा दुखी वही हुई
उनके काटे जाने पर
और हलाक हो गया
मेरी भाषा का एक प्रेरणादायक उदाहरण
ज़मीन के नीचे बाँस का गहराई तक बढ़ने का
भाषा के इस क्षय में
स्वयं बाँसों की कोई ग़लती नहीं थी
तीन
लीची का पेड़ तो उस जगह था भी नहीं
जहाँ बनाई जानी थी इमारत
शायद वह कच्चा माल लाने वाले
उनके बड़े-बड़े ट्रकों के रास्ते में आ सकता था
बाकी पेड़ों से कम पकती थीं
उस पेड़ की लीचियाँ
वे बाहर से पीली होकर झड़ जाती थीं
और मोटी, लाल कभी नहीं होती थीं
इसलिए कम दुख होता था
रास्ते में उनके कुचलने का
और किसी बारिश की रात
मैं शुक्र मानता इस बात का
कि पाँव के नीचे
कोई घोंघा नहीं, लीची कुचली है
अधपकी लीची देना कोई गुनाह तो नहीं
जिसके लिए काट ही दिया जाए पेड़ को
चार
वह पहले ही एक ठूँठ भर था बस
जिसे पूर्व में ऐसे काटा और छीला गया था
कि बहुत क़रीब जाकर ही आभास होता था
कि उसकी जड़ें ज़मीन में थीं
किसी साल बारिश में
फूट सकती थी उससे कोई हरी पत्ती
अपने जीर्ण-शीर्ण वैभव में भी वह
अमूर्त रूप लगता था मुझे
कोणार्क के सूर्य मंदिर के रथ के पहिए का
उन्होंने नहीं छोड़ी
उसके बहुत नीचे की मिट्टी तक
रथ-आकाश-नक्षत्रों सहित उखाड़ फेंका
मेरा सारा अमूर्त कला संसार
पाँच
टीन शेड और उसकी बगल का रास्ता
लगता था सेना के ख़ुफ़िया ठिकाने सा
कुछ था नहीं वहाँ
पेड़ थे, जो रचते थे मायाजाल
पेड़ कटने के साथ
टूटा मायाजाल
दिखने लगा आरपार मैदान
उन्होंने एक काला जाल डाल दिया मिट्टी पर
और आड़ लगा दी उन पीली पन्नियों से
जिन्हें लगाया जाता है
आपराधिक कृत्य वाली जगह
- रचनाकार : देवेश पथ सारिया
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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