ओबामा के समय में बेली की याद
obama ke samay mein beli ki yaad
मित्र ओमप्रकाश वाल्मीकि के लिए
सन् उन्नीस सौ छियानबे का साल
अटलांटा ओलम्पिक में
सौ मीटर की दौड़ जीतने के बाद
वहीं ख़ुशी से चिल्लाने लगा
विश्व का फर्राटा बादशाह दोनोवान बेली
कनाड़ा के इस काले नौजवान को
ख़ुशी में चिल्लाते देखकर
लगता था इसके जबड़े अभी निकल आएँगे।
मैंने मन ही मन बेली को बधाई दी
मैं नहीं समझता था उसकी भाषा
पर उससे बतियाने का मन करता था।
तुम लोग जो
दुनिया के सबसे बलवान लोग हो
क्यों बदलते हो अपना धर्म?
वह कौन-सी फाँस है
जो तुम्हारे सीने में चुभती रहती है?
क्या तुम्हारी जीत पर
तुम्हारी तरह ख़ुश हो पा रहा होगा
तुम्हारी बस्ती का वह काला बच्चा
जिसका विधिलेख ही
काला है इस दुनिया में।
अपने रंग को लेकर तुम्हें
इतने ताने क्यों सुनने पड़ते हैं
ऐसे मारक ताने जो तुम्हारी जान ले लेते हैं
जबकि तुम्हारे शरीर की बलवती मछलियाँ
समुद्र मथकर अमृत निकाल सकती हैं।
लगता है तुम्हारा खुला मुँह
अभी निगल लेगा सूरज को
हमारे आदिवासी हनुमान की तरह।
तो आख़िर तुम सारे
विश्वविजयी खिलाड़ियों का मुँह
अपने प्रति हो रहे
अत्याचारों के ख़िलाफ़
कब खुलेगा!
- पुस्तक : इतिहास में अभागे (पृष्ठ 26)
- रचनाकार : दिनेश कुशवाह
- प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
- संस्करण : 2017
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