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निर्वीर्य दुनिया के बाशिंदे

nirvirya duniya ke bashinde

दीप्ति कुशवाह

दीप्ति कुशवाह

निर्वीर्य दुनिया के बाशिंदे

दीप्ति कुशवाह

और अधिकदीप्ति कुशवाह

    अपनी ही देह कारा है इनके लिए

    चिपका है माथे पर

    प्रकृति की अक्षम्य भूल का कलंक

    कोई दोष नहीं जिसमें इनका

    कुल-परंपरा के

    यशोगान से भरे धर्मग्रंथों में

    इनकी कोई पहचान नहीं

    बस नाम में एक झूठी गरिमा

    किसी धनुर्धारी या

    सुदर्शनचक्रधारी के नाम से जुड़ने के बाद

    जो दिखाती है

    किसी दैवीय परंपरा से संबंध

    कलियुग में राज करने का वरदान भी

    लिखा हुआ है वहीं-कहीं

    पीले पन्नों पर

    और भुगत रहे हैं वर्तमान का शाप

    ये बे-ख़बर

    सुदूर अतीत की पीठ तक मिलते हैं

    बूची ज़िंदगियों के प्रमाण

    मिस्त्र, बेबीलोन, मोहनजोदड़ो...

    अपने इतिहास में दबाए हुए हैं

    तह-दर-तह

    नपुंसक आहों के निशान

    'नपुंसक' शब्द एक गाली की तरह उभरता है

    जिसमे छवि कौंधती है हरम की

    जहाँ वे राजाओं के लिए

    रनिवासों की रखवाली में

    आश्वस्ति का प्रमाणपत्र थे

    इनका उभयलिंगी व्यक्तित्व मुफ़ीद था

    गुप्तचरी के लिए

    ख़त्म हुए राजा, ख़त्म हुए हरम

    ये बचे रहे

    वस्तु बन गए शरम की

    जन्म लेते ही

    परिवार के लिए बन जाते हैं

    अबूझ प्रश्नचिन्ह

    जगहँसाई का सबब

    बलैयाँ नहीं ली जाती

    इन किलकारियों की

    जो माँ के आँचल में उदासीनता

    पिता के हृदय में कटुता घोलती हैं

    गुलाबी या आसमानी कोई रंग नहीं होता

    नाथ वाले इन अनाथों के लिए

    बचपन में मिला नाम भी

    साथ नहीं निभाता दूर तक

    दुबारा नामकरण के साथ

    हिस्सा बन जाते हैं

    द्वंद्व से भरे विरूप संसार का

    नकली उरोजों और स्त्रैण पोशाकों के साथ

    फूहड़ कोशिशें करते हैं

    संपूर्ण स्त्री दिखने की

    पुंसत्व का त्याग एक बड़ा सवाल है

    प्रकृति सौंपती है इन्हें

    जीवन के सफ़र के लिए

    धूप, हवा, पानी और अनाज की वही रसद

    जो हम सबके हिस्से में है

    संवेदनाओं में बख़्शती है

    एक-सी तासीर

    नर-मादा की किमया में डूबे हम रहते ग़ाफ़िल

    कि हमारी फ़िक्र का एक टुकड़ा

    कम कर सकता है

    कापुरुषों के जीवनयापन की यंत्रणाएँ

    बढ़ा सकता है विरोधाभासों के विरोध की हिम्मत

    यहाँ घोषणापत्रों में लुभावने वादे हैं

    विकास की परिभाषाओं में प्रदान की जा रही सुविधाएँ और आरक्षण

    किसी भी शारीरिक कमी से पीड़ित लोगों को

    वहीं इस अवयव विशेष के अविकास के लिए

    सहानुभूति भी नहीं है किसी के पास

    कोई दंड तय नहीं

    उनके लिए जो दुत्कारते हैं इन्हें

    बरसाते हैं बहिष्कार के चाबुक

    कोई दरवाज़ा नहीं खुलता इन पर

    मानव का, मानवाधिकार का

    यौनिक पहचान की बंद भूलभुलैया में

    स्वाहा हो जाने के लिए शापित है

    इनका प्रच्छन्न सामाजिक जीवन

    कटु और मधुर स्मृतियों के

    धागों को तोड़कर

    इन्हें निकल जाना होता है

    अंतहीन रास्ते पर

    जहाँ नहीं होते माँ-पिता की ममता के पेड़

    भाई-बहन के नेह की लताएँ नहीं होतीं

    उस दुनिया में आगे बढ़ते

    इन क़दमों की क़िस्मत में

    नहीं लिखी होती

    कभी घरवापसी

    ये बंजर मरुभूमि हैं

    कोई बीज नहीं डाला जाता आजीवन जिस पर

    आर्द्रता भी नसीब नहीं होती प्रेम की

    उपेक्षा के थपेड़े झेलते हुए

    बस मेड़ पर ठहर जाता जीवन

    “हर पुरुष में होती है एक स्त्री हर स्त्री में होता है एक पुरुष”

    यह कहने वाले ज्ञानी भी नहीं बता पाते

    दर्शन की किस दहलीज़ पर होगी सुनवाई

    मनु के इन वंशजों की

    स्त्री की देह में पुरुष का मस्तिष्क या पुरुष की देह में स्त्री का!

    डोलते पेंडुलम-सा मन लिए

    वे आपकी ख़ुशियों में अपनी ख़ुशियाँ तलाशते हैं

    शफ़ा उड़ेलते हैं अपनी दुआओं की

    ताकि आपका सुख

    दो का पहाड़ा पढ़ सके

    बदले में दुराग्रह का प्रसाद ले कर लौट जाते हैं

    अपनी निर्वीर्य दुनिया में

    किसी नए संग्राम के स्याह दस्तावेज़ पर

    करने के लिए हस्ताक्षर

    इनके आकाश की सीमा बस इनकी आँखों तक

    किसी रहस्यमय संसार के बाशिंदों जैसे

    अपने वंश की अंतिम इकाई

    ये अर्धनारीश्वर

    थकी उत्पीड़ित नींद के दौरान

    भूले-भटके आने वाले सपनों में

    शायद आता होगा कोई राजकुमार

    सफ़ेद घोड़े पर होकर सवार

    या कोई परी करती होगी इंतज़ार

    हथेली पर भौंह का बाल रख

    क्या माँगते होंगे वे!

    या उड़ा दिया करते होंगे उसे

    बिना कुछ माँगे

    उस कृपण-कठोर दाता को

    दुविधा से उबारने के लिए

    अपनी सुप्त यौन इच्छाओं में

    पहुँचना चाहते होंगे वे भी

    पर्वत के शिखर तक

    उतरना घाटी की गहराइयों में

    किसी हरहराती नदी में

    दूर तक बह जाने का आनंद

    उनके मन को भी सहलाता होगा

    उनका हित दाख़िल नहीं होता

    किसी की परवाह में

    बलात् सुख नोंचने वाले हैं बहुतेरे

    पत्र निकाल कर फेंक दिए जाने वाले

    लिफ़ाफ़ों-सी है नियति इनकी

    भले आक्राँता नज़र आते हों

    ये अपने व्यवहार में

    छुपाए होते हैं अपने अंदर

    अपने वंश को अपने साथ ख़त्म होते देखने का डर

    ठीक-ठीक तर्ज़ुमा कर पाना कठिन है

    इनके बेसुरेपन का

    ये भोगी हुई तल्ख़ियाँ हैं उनकी

    जिन्होंने अंतस की मिठास हर ली है

    तालियों की कर्कश गूँज में छुपी हुई हैं

    एकांत की शोकांतिकाएँ

    निर्लज्जपन दिखाकर ढाँक लेते हैं

    अपूर्ण इच्छाओं का सामूहिक रुदन

    हारमोनों की जटिल-कुटिल दगाबाज़ी

    में फँसे तृतीयलिंगी

    सही पदार्थ नहीं हैं नोबेल के लिए

    चिकित्सीय हलकों में किसी सुगबुगाहट का

    बायस ये नहीं

    साहित्यिक विमर्श की कोई धारा भी

    छूते हुए नहीं निकलती इनको

    बाज़ार में चलने वाले सिक्के भी ये नहीं

    शस्त्र और शास्त्रों में उलझे लोग

    जो हर मनुष्य को उपयोग की वस्तु समझते हैं

    इन्हें उपकरण में नहीं बदल पाए हैं अभी

    इसलिए इनकी मौत की ख़बर

    अख़बार के किसी कोने में नहीं छप रही

    नहीं छप रहा

    कि कुछ लाशें ज़मींदोज़ की जा रही हैं

    गड्ढों में सीधी खड़ी करके

    थूकी जा रही है जिन पर जुगुप्सा

    अपनी ही बिरादरी द्वारा

    चप्पलों से पीटी जा रही हैं

    इस आस में

    कि फिर कभी इस योनि में लौटें

    समय के समंदर में झँझावातों के बीच

    बिना नाविक, बिना पतवार

    भटकती हैं जो नौकाएँ

    डगमगाती और झकोले खाती

    अंततः कहाँ जाती हैं

    कौन जानता है!!

    स्रोत :
    • रचनाकार : दीप्ति कुशवाह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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