प्रभात के लिए
कहाँ और कौन-सी चीज़ तुम्हें तोड़ गई है
कौन-सी बात,
कौन-सा ग़ुस्सा,
कैसी तकलीफ़—
तुम्हें ख़ुद अपने ख़िलाफ़ मोड़ गई है
और अब, काली, जंग खाई ज़ंजीरें हैं
लगातार तुम्हारे गिर्द कसती हुई
मज़बूत बेड़ियाँ हैं। नि:शब्द।
तुम्हारा घर अब
तुम्हारे लिए
सिर्फ़ एक कारागार है।
तुम्हारा घर :
जिसमें कभी एक पूरा शहर आबाद था
जिसमें तुम्हारे एहसास का रेशा-रेशा आज़ाद था
अब सिर्फ़ घर का एहसास भर रह गया है
तुम्हारे लिए।
धूप थी। पसरी हुई।
पलाश के फूलों की तरह। चटख।
तुम्हारे अंदर लगातार बहती हुई उस नीली नदी पर
जो तुम्हारी ताक़त थी। थिर और चटख धूप।
साथियों की कशमकश की तरह,
हमले के उल्लास की तरह,
हाथों की सधी पेशकश की तरह।
फिर धीरे-धीरे और धीरे-धीरे
जैसे कि दीवार पर काई जमती है
जैसे कि दीवार में सील सिमती है।
और एक ज़हर-भरी गंध हवा पर ठहर जाती है
यह तनाव-भरा संसार
लोहे के परों पर
उड़ता
हुआ
तुम्हारे चारों ओर उतर आया
जाल की तरह, शराब के ज़हरीले कोहरे की तरह।
अब चारों ओर एक ख़ालीपन है
कुछ न कर पाने का एहसास है
पीछे हट जाने का इतिहास है
काली, ज़ंग-खाई ज़ंजीरें हैं
तुम्हारे गिर्द कसती हुईं। नि:शब्द। लगातार।
धूप अब भी है। हल्की सुनहरी धूप।
बिखरी हुई। तुम्हारे अंदर और बाहर।
ज़र्द धूप। धीरे-धीरे खिसकती हुई।
झुके हुए साहस की तरह मंद-गाम
हमवार हो गए हैं सभी नक़्श, सभी चेहरे
तुम्हारे आँखों में।
तुम्हारे ऊपर एक ख़ाली आसमान तना है
जिसका हर रंग
तुम्हारी धुँधलाई पुतलियों के फीकेपन से बना है।
तुम्हारे अंदर बहती हुई नदी की जगह
एक काई-लगी झील रह गई है
जिसका तीखा ज़हरीला पानी
तुम्हारे जिस्म को जंग की तरह खाता है
और तुम्हारी हर आवाज़, उस पार जा कर भी,
सिर्फ़ तुम तक लौट आती है।
अब इस अँधेरे में
जिसमें कि तुम पैदा हुए थे
और जिसमें कि तुम लौट आए हो
तुम्हें महसूस होता है :
ख़ून एक बहुत मँहगी चीज़ है
आज़ादी की क़ीमत चुकाने के लिए।
- पुस्तक : कुल जमा-1 (पृष्ठ 136)
- रचनाकार : नीलाभ
- प्रकाशन : शब्द प्रकाशन
- संस्करण : 2012
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.