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नई सदी में

nai sadi mein

गुरभजन गिल

गुरभजन गिल

नई सदी में

गुरभजन गिल

नई सदी में इस धरती पर ईश्वर, मेहर करे

वन तृण महकें-चहकें और पनपें सब पेड़ हरे।

अग्नि-खेल की दानव-टोली भागे दूर परे

घर के कोने रोशन हों, कुछ जलें चिराग़ नए।

लंबी बहरी रात के बाद यह अब प्रभात करे

वह इस धरती पर आए जिससे शिशु डरे।

हरी सुनहरी गेहूँ का सपना अब हिरण चरे

ख़ाली सूने नयनों में भी रोशनी वास करे।

सूर्य-चंद्र से दीपों के आगे यह अँधेर मरे

जगमग जोत धरती छोरों को, हरदम नूर करे।

लंबा- गहरा अंधा जीवन सोचकर मन बिफरे

प्यार मुहब्बत अपना परचम सूने गगन भरे।

इस धरती का कण-कण अब बस यह अरदास करे

जो ज़मीन बंजर या ख़ाली वहीं पे फ़सल भरे।

माँ की गोद में शिशु बैठकर कुछ कलोल करे

अपने घर से डरे कोई, ये आँगन रहें भरे।

माँ हर दिन मक्खन मथने के साथ ही शुरू करे

दूध-पूत सब रहें सलामत, बहू-बेटी जाए परे।

बहनों को सुहाग का चूड़ा सुंदर सहज सजे

ओस के मोती बिखरें देखें, शगुन सवेर करे।

तपती धरती बरखा माँगे, पूरे मेघ बरसें

दुश्मन की भी आँख में आँसू अब जाएँ जरे।

स्रोत :
  • पुस्तक : बीसवीं सदी का पंजाबी काव्य (पृष्ठ 521)
  • संपादक : सुतिंदर सिंह नूर
  • रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक फूलचंद मानव, योगेश्वर कौर
  • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
  • संस्करण : 2014
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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