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मिट्टी की ही तरह पवित्र होना है मुझे

mitti ki hi tarah pavitra hona hai mujhe

अनुवाद : सुनीता डागा

पी. विठ्ठल

पी. विठ्ठल

मिट्टी की ही तरह पवित्र होना है मुझे

पी. विठ्ठल

और अधिकपी. विठ्ठल

    सुख-दुखों की अनगिनत समकालीन कहानियाँ

    मिली हुई हैं इस मिट्टी के कण-कण में

    इसीलिए मिट्टी का निरामय स्पर्श

    प्रिय होता है इंसान को

    प्रार्थना की ही तरह

    तुम्हारे हाथों में यह जो

    मिट्टी का नम-गीला बर्तन है

    इसमें घुली हुई है

    ऋतुओं की सरगर्मियों की

    असंख्य आवाज़ें और

    क‌ई श्रमजीवी हाथों का

    आकुल पसीना

    दौड़ चुके हैं इस मिट्टी की देह पर से

    युद्ध के शक्तिशाली अश्व

    हिरणों के निरीह झुंड और

    मोरों के मनमोहक पंखों के

    निर्लिप्त निशान भी

    अंकित है इस मिट्टी पर

    हज़ारों सदियों के आदिम अक्षर

    तराशे गए हैं इस मिट्टी पर

    और हर अक्षर में छुपी है

    प्राचीन सभ्यता की एक भव्य वर्णमाला

    इंसानों ने इसी मिट्टी पर चलाया

    श्रम का शाश्वत हल

    और लिखा गया धरती की पीठ पर

    मिट्टी का पारदर्शी सौंदर्य-शास्त्र

    प्रिय,

    इस मिट्टी के पात्र का

    जल-घूँट लो तुम एक ही साँस में

    और लेने दो मुझे

    तुम्हारे स्नेहमयी अधरों का चुंबन

    मैं मिट्टी की ही तरह

    पवित्र होना चाहता हूँ!

    स्रोत :
    • पुस्तक : सदानीरा
    • संपादक : अविनाश मिश्र
    • रचनाकार : पी. विठ्ठल
    • प्रकाशन : सदानीरा पत्रिका

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