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मेरी माँ हिंदू थी

meri maan hindu thi

अमिताभ

अमिताभ

मेरी माँ हिंदू थी

अमिताभ

और अधिकअमिताभ

    मेरी माँ हिंदू थी

    वह पूजा-पाठ-उपवासों का अनंत सिलसिला थी

    जात-पात भी करती थी जितना कर सकती थी

    दो बार ऐसा हुआ कि एक चमार औरत के दो नवजात

    मरे हुए बच्चों को दफ़ना कर आया

    और कड़ी ठंड में बिना नहाए

    (वह भी घर के बाहर वाले नल पर)

    माँ ने अंदर नहीं घुसने दिया

    सत्रह साल में दोनों बेटियों को ब्याह दिया

    जति-कुल-गोत्र का भी ख़याल रखा

    वह मुसलमानों के लिए घर में अलग बर्तन रखती थी

    मगर उनसे नफ़रत नहीं करती थी

    उसके पास इतनी सत्ता नहीं थी कि वह सांप्रदायिक हो जाती

    वह पढ़ी-लिखी नहीं थी

    मगर अफ़सर की बीवी वाला रोब उसमें था

    बात सुनने वाले चपरासियों की तरफ़ वह देखती भी नहीं थी

    आज्ञाकारी चपरासियों से दुनिया-जहान की बातें करती

    उनके बाल बच्चों के बारे में भी पूछती

    नौकरानियों की वह मालकिन थी

    एक साथ चतुर, कंजूस और काम निकालने वाली उदारता से भरपूर

    वह हर वक़्त अपने शोषण के ख़िलाफ़

    आसमान सर पर उठाए रखती

    हाथ खड़े कर देती

    रजाई में घुसकर सो जाती

    घड़ी-ड्रेसिंग टेबल के लिए रूठ जाती

    उसे सुंदर दिखने की फ़िक्र रहती

    अच्छे साबुन ट्राई करती

    हफ़्ते भर घर से बाहर नहीं निकल पाई

    तो उसका दम फूलने लगता

    पति तो क्या बच्चों के लिए भी वह

    निर्विकार, समर्पित, सेल्फ़लेस नहीं थी

    फूलों जैसी तो वह बिल्कुल नहीं थी

    जिसे गुलदस्ते में सजाकर पेश करूँ

    वह अक्सर झूठ बोलती थी

    और हमें झूठ बोलने से मना करती थी

    हिंदी कविता का मसाला तो जी वह बिल्कुल नहीं थी

    स्रोत :
    • पुस्तक : समस्तीपुर और अन्य कविताएँ (पृष्ठ 132)
    • रचनाकार : अमिताभ
    • प्रकाशन : निबंध प्रकाशन
    • संस्करण : 2023

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