Font by Mehr Nastaliq Web

मौन-चित्र

maun chitr

अनुवाद : प्रधान गुरूदत्त

के. एस. नरसिंह स्वामी

और अधिकके. एस. नरसिंह स्वामी

    खिला था कौन-सा फूल उस राह में

    जिससे होकर आई हो तुम?

    सुन पड़ा कौन-सा संगीत पंछी का

    खींचा था तुमको किस खेत की ख़शबू ने?

    जगमगया था इंद्रधनुष कौन-सा?

    सुन पड़ी कहीं घण्टे की आवाज़ मंदिर के गोपुर से?

    जगा दीं लहरें क्या तालाब के जल ने?

    गिरा दिया उँगली ने क्या फूल जूड़े से?

    था बादल अकेला क्या नीले आसमान में?

    आना है तुम्हारा सुंदर बहुत ही; तुम्हारी बदौलत

    यह ज़िंदगी है ताक में बैठी सुख पाने की

    बाड़ी में सारी हरीतिमा अब साँस ले रही

    हवा भी बह रही हलकी-हलकी-सी।

    देखते ही तुमको दीये घर के और जगमगा उठे

    रहें पेटी के अंदर ही तुम्हारी वे साड़ियाँ सारी

    झाड़ सकती हो उनको मिले जब फ़ुरसत तुमको.

    सोचा था कि शायद आओगी कल; आई हो जो

    तुम आज ही, सो तो हुआ सचमुच अच्छा ही।

    मौन ही है क्या जवाब सवालों का मेरे इन सारे?

    बोलती क्यों नहीं तुम? बताओ कि हुआ क्या?

    अलकें हैं कांतिहीन, जूड़ा है अस्त-व्यस्त।

    पूछा तो नहीं मैंने—‘आई हो तुम क्यों कर?’

    तोल-तोलकर शब्द, भेजा था मैंने जो पत्र तुम्हारे नाम,

    लिखा था नहीं उसमें कि ‘आ जाओ तुम अभी!’

    यह घर है तुम्हारा; जब भी तुम आओ, करूँगा मैं

    स्वागत घर के इस द्वारा पर ही।

    बारिश है रुकी हुई, हर्ष बिखरा हर कहीं।

    जाओ अंदर! मुस्कुरा दो प्रिये!

    देखा नहीं हवाई-जहाज़ कोई; जहाज़ है भी दूर यहाँ से

    आई हो तुम तो करके सफ़र इस बैलगाड़ी से

    करती थी तुम जैसे सदा, जाओ अंदर!

    अंतिम घड़ी में संध्या की, निकल आए हैं तारे कई।

    अधखुले द्वार में तुम खड़ी जो क्यों कर ऐसे?

    झिझक है क्यों भला पाँव रखने में घर के अंदर?

    पिछवाड़े में बछड़ा कूद चला पास अपनी माँ के,

    पल भर में बाँधकर जाऊँगा खूँटी में उसको।

    एक ही जवाब के रूप में मेरे इन सारे सवालों के,

    खड़ी हो तुम सचमुच एक तसवीर जैसी।

    मुस्कुराहट खिली, अब रही बात समझ में:

    आई हो तुम जवाब बनकर मेरे उस पत्र के!

    स्रोत :
    • पुस्तक : भारतीय कविताएँ 1987-88 (पृष्ठ 41)
    • संपादक : र. श. केलकर
    • रचनाकार : के. एस. नरसिंह स्वामी
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन
    • संस्करण : 1992

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए