मैं उस स्वर्ग में रहता हूँ
जहाँ मशकूक होना ही होता है
मर जाना
जहाँ घरों से निकलना ही होता है
ग़ायब हो जाना
जहाँ हर ऊँचा होता सिर
तानाशाहों के आदेश पर
काट लिया जाता है।
*
मैं उस स्वर्ग में रहता हूँ
जहाँ की उपजाऊ मिटटी में
अब केसर की घुंडियाँ नहीं
बारूदी-सुरंगे बोई जाती हैं
जहाँ के बर्फ़ीले पहाड़
लहू-रंग विलाप में बदल जाते हैं
जहाँ के झरनों को मिलता है
लोगों के आँसुओं से बहाव
जहाँ सिमटते जा रहे हैं खेत
फ़ैलती जा रही हैं फ़ौजी छावनियाँ
जहाँ देखते-ही-देखते
सड़कें हो जाती हैं रक्तिम
और मिर्ची-गैस की शेलिंग से
आँखें हो जाती हैं सुर्ख़-अँधी।
*
मैं उस स्वर्ग में रहता हूँ
जहाँ झूठ की आँखों में आँखें डालना ही
होता है अपनी आँखें निकलवाना
सिर उठा के चलना ही
होता है अपनी मौत को बुला लेना
आगे बढ़ जाना ही होता है
अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना
और सच के हक़ में बोलना ही
होता है
सदैव के लिए बेज़ुबान हो जाना।
*
मैं उस स्वर्ग में रहता हूँ
जहाँ घर से निकलते समय माएँ
अपने बच्चों के गले में
परिचय-पत्र डालना कभी नहीं भूलती
भले ही वह भूल जाए
टिफन या किताबों के बस्ते
अपने नन्हों के परिचय की ख़ातिर नहीं
बल्कि
उनका शव घर के ही पते पर पहुँचे
इस बात की ही चिंता है उन्हें।
*
मैं उस स्वर्ग में रहता हूँ
जिसकी सीमाओं की फ़ज़ाओं पर
वर्षों से मंडरा रहे हैं
चील, कौए और गिद्ध
और जहाँ मानव-कंकालों का
लगा हुआ है अनवरत पर्व।
*
मैं उस स्वर्ग में रहता हूँ
जहाँ दूसरों की शर्तों पर जीवन
और अपनी शर्तों पर
केवल मौत चुनी जा सकती है
जहाँ के बाज़ारों में
होती है ख़ौफ़ की चहल-पहल
और लोग लेप लेते हैं चेहरों पर
झूठी मुस्कुराहटों के फीके-रंग।
*
मैं उस स्वर्ग में रहता हूँ
जहाँ के जन-गणना-दफ़्तरों में
आधी-माँओं और आधी-विधवाओं की
बढ़ती जा रही हैं सूचियाँ
जितनी बढ़ती जा रही हैं
लापता किए गए लोगों की संख्या।
*
मैं उस स्वर्ग में रहता हूँ
जहाँ चेहरों पर चहकता है सोग
पैरों में पड़ जाती हैं ज़ंजीरें
दिलों में धड़कतीं हैं दहशतें
आँखों में अटकते हैं सपने
और उँगलियों पर उगती हैं हैरतें।
*
मैं उस स्वर्ग में रहता हूँ
जहाँ बच्चा होना होता है सहम जाना
जवान होना होता है मर जाना
औरत होना होता है लुट जाना
और बूढ़ा होना होता है
अपने ही संतान का
क़ब्रिस्तान हो जाना।
...
मैं उस नर्क में रहता हूँ
जो शताब्दियों से भोग रहा है
स्वर्ग होने का एक
कड़वा और झूठा आरोप।
- रचनाकार : निदा नवाज़
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.