Font by Mehr Nastaliq Web

लेकिन गोदाम में नौकरी?

lekin godam mein naukari?

अनुवाद : महावीरसिंह चौहाण

सितांशु यश्चंद्र

सितांशु यश्चंद्र

लेकिन गोदाम में नौकरी?

सितांशु यश्चंद्र

और अधिकसितांशु यश्चंद्र

    'देखा सा'ब? ये देखो... और ये... ठीक से दिखा?

    ये तो सा'ब कुछ भी नहीं है, ये तो खिड़की वाला नज़ारा है।

    असली मामला तो फाटक खुलने पर नज़र आएगा।

    हाँ सा'ब, ये है सा'ब, गोदाम का मेनगेट

    है बुलंद दरवाज़ा, सा'ब? ना, ना मेहरबान सरजी, ना, गुजराती हूँ।

    मुसलमान नहीं हूँ

    कंप्लेट गुजराती। यह तो सा'ब यूँ कि बीयेसेफ वाली आदत है, हिन्दी

    बोलने की

    मेहरबान, आप तो सुनते ही समझ जाने वालों में से हो, सा'ब

    ये मेन गेट महाराज! इसे देखने वाला देखता ही रह जाए। रोशनी में।

    टॉर्च से देखें, ये चार-चार इंच की पट्टियाँ, फौलादी।

    और उस ओर गोदाम की भीतों में, नीचे और इस ओर बाएँ और उस

    ओर दाएँ

    देखा? जड़ दिए हैं कड़े, और ये सीध में ऊपर सीधे

    दूसरे दो जड़ दिए है दीवार चुनते समय

    और इसमें कड़े से कड़े तक ये पट्टियाँ भिड़ा दीं सख़्त

    और तीन-तीन तो ताले हैं सा'ब।

    दो नीचे के कड़े में बाएँ में दाएँ और तीसरा

    देखो ये बीच में दैत्य जैसा, दोनों पट्टियों के साथ

    भगवान ही जाने कौन है इस गोदाम का मालिक,

    साहेब! और ऐसा तो क्या रखा है

    इन चाभी-तालों में!

    उनके आदमी आधी रात आते हैं।

    तीनों ताले खोलते हैं, पट्टियाँ पछाड़ते हैं, ढकेलते हैं फाटक तो मुहल्ले में

    सोते हुए बच्चे चौंक कर रोने लगते हैं सा'ब और दूसरे दिन हमें नौकरी

    पर तो जाना ही होता है। आँखें फाड़े जागते रहना पड़ता है।

    नौकरी? हाँ, नौकरी तो करते ही हैं, हुजूर

    हाँ, सच है साहब जी आपके राज में नौकरी तो मिल जाती है!

    बेकारी? बेकारी की बात तो यह कि यह पास वाली सहकारी बैंक टूटी

    इसमें हमारे छह लोगों की नौकरी गई।

    ना ना, छह के छहों बेचारे कारकुन और चपरासी थे, सरकार! इनमें का कोई

    भी जेल में नहीं है। जो चार साहब लोग जेल में गए वे चारों जमानत

    पर छूट गए। सब ऐश करते हैं, उस बहुमंजिले मकान में।

    हमें क्यों दिक्कत, इसमें, सा’ब?

    भले करें ऐश वे सभी अपनी-अपनी कोठियों में

    लेकिन हम छह तो बरबाद हो गए ना, सरकार?

    हैं? सच कहते हो? विश्वास नहीं होता है,

    आज के जमाने में, सर जी!

    अरे भट, राठवा, कोकिलाबेन, छहों आओ

    अपने नाम पते लिखाओ हुजूर को।

    छहों को साहब ख़ुद ही नौकरी दिलाएँगे।

    अरे झट कर कोकी, लखमी आई तेरे घर, और तू...

    अब गई कहाँ, तू? अपनी बिन्दी-टिकुली फिर कर लेना।

    कहाँ है हुजूर? कहाँ है नई नौकरी बाबू साहब जी?

    गोदाम में?

    इस सामने वाली गोदाम में नौकरी, सरकार?

    स्रोत :
    • पुस्तक : जटायु, रुगोवा और अन्य कविताएँ
    • रचनाकार : सितांशु यशचंद्र
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए