पकड़ते हुए एहसास का आख़िरी कतरा
महसूसने का सब कुछ
सारी शिराएँ, आपके होने का सब कुछ
कि ठीक, ठीक क्या हुआ
जब सुनी आपने बेहद भयानक ख़बर वह
कि घटा है कहीं फिर भयानक हादसा कोई
मारे गए हैं, निर्दोष, निहत्थे
बेख़बर लोग
कहीं और
हादसा कोई
जो कभी भी पास आ सकता है
पर अभी नहीं
अभी सिर्फ़ ख़बर है
पढ़ी जा सकने वाली
अपने लैपटॉप पर अब
ये जानते कि मुमकिन है
लोग, बेहद ताक़तवर लोग
मुमकिन है, वही लोग
कुछ वही लोग
उनके लोग
कुछ और लोग भी
देख रहे हो
आपको पढ़ते हुए ख़बर वह
कितनी देर लगाई आपने
पढ़ने में ख़बर वह
कितनी बार ऊपर नीचे की
आपने रपट वह
ठीक क्या हुआ
उस दानवी वारदात को पढ़ते
पढ़ते उस जघन्य कृत्य की बारीकियाँ
लोमहर्षक बारीकियाँ
जो डाल रहा है
हम सबको ख़तरे में
राहत ये कि ख़तरा कुछ दूर है।
इतना कसता जाता है
शिकंजा किसी और का
किसी नज़र रखने वाले का
आपकी रोज़मर्रे की ज़िंदगी पर
कि केवल राहत महसूस की आपने
कुछ दूर तक
ख़ौफ़ उसके बाद
ख़ौफ़ तो कितना ख़ौफ़?
- रचनाकार : पंखुरी सिन्हा
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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