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किसी से मिलने के बाद

kisi se milne ke baad

आनंद बलराम

आनंद बलराम

किसी से मिलने के बाद

आनंद बलराम

और अधिकआनंद बलराम

    वह पहाड़ी से नीचे उतर रही है

    नदी की तरह

    घूमती-घामती हिचकोले खाती

    नीचे उतर रही है

    शायद लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ी है

    किसी के लिए

    प्रतीक्षा के बाद

    किसी से मिलकर वह नीचे उतर रही है

    उसकी चुनरी

    झाड़ियों में अटक रही है

    लहँगे से चिपटकर चींचड़े साथ चल रहे हैं

    लाल रिबन उड़ रहा है पीठ के पीछे

    कीट और पतंगें साथ उड़ रहे हैं

    चट्टानों में दुबकी झींगुरियों के सनसनाते राग में

    उखड़ा-सा कोई गीत गाती

    वह नीचे उतर रही है

    तारों की तरह बिखरे बीहड़ के फूल

    आँखों से चूम रही है

    दूर तक फैली आकाश में तितलियाँ

    आँचल में बुला रही है

    फूलती साँस के साथ आहिस्ता पाँव धरते

    पीछे सूरज

    आगे चंद्रमा को देखती

    वह नीचे उतर रही है

    एक नेवला

    आँखें उठाकर वापस बिल में छिप गया है

    एक गेदुआ

    अपने बालों जैसी सुनहरी घास को

    दूर तलहटी से निहार रहा है

    कातिक की पीली चमकीली घास

    हथेलियों से दुलारती

    वह नीचे उतर रही है

    वहीं ढलान पर खड़ा है

    कीकर का पेड़

    शाख पर मधुमक्खियाँ डोल रही हैं

    खातीचिड़ा छील रहा है कोटर

    चिड़ी उसका साथ दे रही है

    वे काम छोड़कर देख रहे हैं

    उसे बग़ल से गुज़रते हुए

    उनसे क्षमा माँगती

    वह नीचे उतर रही है

    मोर चढ़ आए हैं पेड़ों पर

    वे बिस्तर जमा रहे हैं

    तिरछी क़तारों में साँझ के तोते

    पश्चिम में जा रहे हैं

    ‘मुझे भी जल्दी पहुँचना है अपने घर’

    वह सोच रही है

    वह धरती को दुआएँ दे रही है

    जब तक रहेंगे ये दृश्य धरती पर

    प्रेम का सुख भी रहेगा जीवन में

    सोचते हुए

    वह नीचे उतर रही है!

    स्रोत :
    • रचनाकार : आनंद बलराम
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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