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किस आँख में है मेरा आलय

kis ankh mein hai mera aalay

जोशना बैनर्जी आडवानी

जोशना बैनर्जी आडवानी

किस आँख में है मेरा आलय

जोशना बैनर्जी आडवानी

और अधिकजोशना बैनर्जी आडवानी

    अनुचरी हूँ

    बलपूर्वक बंद किए हैं मैंने अपने ओंठ

    दमखम के नाम पर दो हथेलियाँ हैं

    जीवन एक कूटप्रश्न से बढ़कर कुछ नहीं

    मैं पौ फटने की वेला हूँ

    दुपहर तक के ईंधन की संभावना लिए

    निरुद्देश्य रात्रि तक अनुपस्थित रहती हूँ दृश्य में

    क्या रात्रि की आँख में है मेरा आलय

    मैं मयूरभंज की एक मुद्रा हूँ

    एक मुख्यमंत्री के सम्मुख किसी चरित्र को दर्शाती एक तकनीक भर

    मैं एक चुंबन की मोहर हूँ

    एक तितली के स्वप्न में पुष्प बनकर अडोल पड़ी हूँ

    दीवार घड़ी का मौन हूँ

    कई युद्ध, कई जन्म, कई मरण, कई कर्फ़्यू देखने को नियमबद्ध हूँ

    क्या किसी नियम की आँख में है मेरा आलय

    धीरे-धीरे मरने की प्रक्रिया हूँ

    चारों तरफ़ खड़े लोगों को एक निरर्थक प्रतीक्षा कराती एक देह भर

    गुलेल से निकला एक कंकड़ हूँ

    तुम्हारे सीने पर लगने वाली चोट से निकली आह का पानी

    क्या किसी प्रतीक्षा करती हुई आँख में है मेरा आलय

    कितनी चीज़ें नष्ट हुई हैं मुझसे

    दिमाग़ में चलती है एक पवनचक्की

    आँखें दिशाओं को उठाकर मुट्ठी में बंद कर देती है हठपूर्वक

    औचक ही टूट जाती है नींद किसी काग़ज़ के फड़फड़ से

    क्या किसी नींद भरी आँख में है मेरा आलय

    मैं उठी थी एक बार जंगल बचाने की उम्मीद बनकर

    मेरे एक हाथ में धूँ धूँ की ध्वनि है

    एक हाथ में कुछ कविताएँ

    क्या कविता पढ़ती किसी आँख में है मेरा आलय

    कहो देव,

    किस आँख में है मेरा आलय!

    स्रोत :
    • रचनाकार : जोशना बैनर्जी आडवानी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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