Font by Mehr Nastaliq Web

किस अंधकार में बहा ले चले अपनी तरणी

kis andhkar mein baha le chale apni tarnai

अनुवाद : उपेंद्रकुमार दास

कृषणचंद्र त्रिपाठी

कृषणचंद्र त्रिपाठी

किस अंधकार में बहा ले चले अपनी तरणी

कृषणचंद्र त्रिपाठी

और अधिककृषणचंद्र त्रिपाठी

    हृदय का लेन-देन जहाँ बिलकुल नहीं है।

    ऐसा राज्य क्या कहीं तुमने देखा है?

    बात-बात में चलती है केवल चालबाज़ी

    एक को दूसरे से सतर्क होकर चलना पड़ता है।

    एक जब हँसकर हृदय से बातें करता है

    तो दूसरा गंभीर होकर रह जाता है।

    स्नेह-सुहाग के मधुर वार्तालाप में

    कोई उस्तरे से गला काट रहा है।

    सत्य कहने का किसी को साहस नहीं होता

    मिथ्या बोलने के लिए एक-दूसरे को उकसाता है।

    धोखे से जो जिसको ठग सकता है।

    वही है सबसे अधिक समर्थ!

    किसी को परेशानी मे डालकर नीचा दिखाना

    दूसरों की विपत्ति का परिहास कर वाहवाही लेना पौरुष है

    इस गर्व से जो छाती फुलाकर चलता है

    उसे ही दुनिया कहती है मानवश्रेष्ठ।

    आज जो पड़ोसी तुम्हारा बंधु है

    कल उसे ही तुम लात मारते हो

    परसों उसे रास्ते का भिखारी बना देते हो।

    जीवन धारण किए हुए जो तुम बच रहे हो, मर क्यों नहीं जाते

    सीमाहीन जीवन की कितनी तरंगें खेल रही हैं

    जिन्हें देखते ही अंतर पूर्ण हो जाता है,

    इस महालीला में सदा आक्षेप देकर

    चरने के लिए क्या तुम्हारी ज़रा भी इच्छा नहीं होती

    अंत:करण से दुनिया को प्यार करना

    दुनिया के होंठों पर हर्ष का ज्वार लाना

    क्या यह नहीं है तुम्हारे जीवन की मधु सरणी

    किस अंधकार में बहा ले चले अपनी तरणी?

    स्रोत :
    • पुस्तक : भारतीय कविता 1954-55 (पृष्ठ 53)
    • रचनाकार : कृष्णचंद्र त्रिपाठी
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए