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कविता जो चरवाहे के लबों का बसेरा है

kavita jo charvahe ke labon ka basera hai

आमिर हमज़ा

आमिर हमज़ा

कविता जो चरवाहे के लबों का बसेरा है

आमिर हमज़ा

और अधिकआमिर हमज़ा

     

    रसूल हम्ज़ातोव की किताब ‘मेरा दाग़िस्तान’ को पढ़ते हुए

    आसमाँ का होना बादल से है। बादल का होना बारिश से।
    बारिश का होना समंदर से है। समंदर का होना नदी से।
    नदी का होना जंगल से है। जंगल का होना पेड़ से।
    और होना पेड़ का चरवाहे के काँधे पर रखी
    गठरी में बँधी—
    धूप मिट्टी और हवा से।

    चाहते हो आसमाँ! बचाओ बादल को
    चाहते हो बादल! बचाओ बारिश को
    चाहते हो बारिश! बचाओ समंदर को
    चाहते हो समंदर! बचाओ नदी को
    चाहते हो नदी! बचाओ जंगल को
    चाहते हो जंगल! बचाओ पेड़ को
    और चाहते हो पेड़! चरवाहे के काँधे पर रखी गठरी में बँधी—
    धूप मिट्टी और हवा को बचाओ।

    चरवाहे को बचाओ!
    उसकी गठरी को बचाओ!!
    गठरी में बँधी धूप मिट्टी और हवा को बचाओ!!!

    बचाओ!
    बचाओ!!
    बचाओ!!

    मेरे बुज़ुर्गों का क़ौल है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : आमिर हमज़ा
    • प्रकाशन : समालोचन
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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