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कौन है उस पार

kaun hai us par

अनुवाद : राजेंद्र प्रसाद मिश्र

प्रतिभा शतपथी

प्रतिभा शतपथी

कौन है उस पार

प्रतिभा शतपथी

और अधिकप्रतिभा शतपथी

    कौन है उस पार?

    बेइंतिहा अँधेरे से लदी

    हवा रेंग रही है

    साँस लेना कष्टकारी है यहाँ

    तेज़ प्रवाह

    मेरे सीने का

    गहराई में चोट कर रहा है,

    काट रहा है,

    इतना रक्त कि

    हाथ-पैर सराबोर हैं

    टूटकर गिर पड़ा है मिट्टी पर

    कवि का सपना

    धूल-धूसरित भयावह

    फिर भी बचा है तेज़—

    बचा होगा

    धूल में

    एक नन्हा-सा कण

    खिला है सजीव झिलमिल

    कहते हो वह तेज़ मेरा है—

    हो सकता है

    उस तेज़ से

    लगभग दस साल पहले

    मर चुका मेरा प्रेमी

    क्या सहसा जाग उठेगा?

    उबले अंडे के दो भाग-सी

    आँखों में उसकी

    फैल चुके होंगे अनोखे सपने—

    उस तेज़ से

    क्या लाल पड़ जाएँगे पेड़-पौधे,

    पिघलकर बह जाएँगे रास्ते-घाट

    पसर जाएगी कटु मुस्कान

    आकाश के एक छोर से दूसरे छोर तक?

    क्या फट जाएगा

    उस तेज़ से

    विशुद्ध अहंकार?

    मैं हाथ बढ़ा दूँगी

    कौन है उस पार?

    घुप्प गीला अंधकार—

    जो अंदाज़ नहीं पाती कुछ!

    स्रोत :
    • पुस्तक : आधा-आधा नक्षत्र (पृष्ठ 23)
    • रचनाकार : प्रतिभा शतपथी
    • प्रकाशन : मेघा बुक्स

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