Font by Mehr Nastaliq Web

काश्मीर स्वप्न का नहीं, मिट्टी का है

kashmir svapn ka nahin, mitti ka hai.

अनुवाद : उपेंद्रकुमार दास

कुंजबिहारी दास

कुंजबिहारी दास

काश्मीर स्वप्न का नहीं, मिट्टी का है

कुंजबिहारी दास

और अधिककुंजबिहारी दास

    केशों में हैं उसके पाइन वन की लहरें

    मुँह में वुलर झील का सद्य पद्म

    उषा-किरण-मिश्रित तुषार-जैसा है उसका रंग

    ललाट में सुनहरी नासपाती।

    गड पर है आपल की रक्तिम आभा

    अधर पर द्राक्षा की मधुर सुकुमारता

    श्वास में है उपत्यका के उद्यान की सुरभि,

    आँखों में झेलम प्रपात की चंचलता

    नख मे चेरी फूल

    कंठ में बुलबुल

    तुषार-प्रवाह-जैसी है उसकी मंथर गति

    चिनार वन की झोपड़ी में रहने वाली

    इस किशोरी की देह ने मानो पाई हो

    काश्मीर की आश्चर्यमयी शोभा।

    शत-शत लोभी आँखें चाहती हैं उसका लावण्य

    वह माँगती है सिर्फ़ मुट्ठी भर अन्न

    कोई देखता है उसकी आँखों मे मदन-बाण

    वह माँगती है उमड़ती जवानी छिपाने के लिए

    केवल एक वस्त्र।

    कोई कहता है प्रकृति की कारीगरी का यह चरम उत्कर्ष है

    किंतु उसके मुख पर उठ रही है करुणा की तरंगें

    संग्राम-क्षत अथर से रक्ताक्त

    आँखों के नीचे पहाड़ी झरने को लोहित करता है

    एक यही नैराश्यमय सूर्यास्त।

    उस पर है अंधे और बीमार पिता का दायित्व

    चैत्र वन की यह सुंदरतम मंजरी

    जल रही है जीवन की व्यथा में

    गालों की गुलाबी को सर्वहारा के हा-हतोस्मि

    किया है पकिल

    घने कुहरे के बीच शिरशिर उषा कि भाँति छायामयी

    वह जैसे कहती है

    काश्मीर

    स्वप्न का नहीं,

    मिट्टी का है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : भारतीय कविता 1954-55 (पृष्ठ 49)
    • रचनाकार : कुंजबिहारी दास
    • प्रकाशन : साहित्य अकादमी

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए