कमीना पड़ोसी
kamina paDosi
सुबह पाँच बचे तक उसकी नाक बजेगी
ठीक पाँच बजे वह चीख़ने लगेगा
दो घंटे बीतने पर घर का दरवाज़ा खुलेगा
आठ बजे तक वह प्रसन्नचित्त हो जाएगा
और साढ़े नौ बजते-बजते दफ़्तर चला जाएगा
साढ़े नौ से रात के नौ बजे तक
औरत घर पर अकेले रहेगी
बच्चे स्कूल जा चुके होंगे।
वह चाहे तो देर तक हँस सकती है
या किसी से बात कर सकती है
वह नाच सकती है
गा सकती है
वह जो चाहे कर सकती है
लेकिन वह जैसे दिशाओं की ओर देखती ही नहीं
सारा दिन गंदे कपड़ों के पहाड़ में घुसी रहती है
वह चादर धोएगी, तकिए के ग़िलाफ़ रगड़ेगी, सुखाएगी
और घंटो तक एक शब्द नहीं बोलेगी
आठ बजते-बजते रसोई की आवाज़ें बंद हो जाएँगी
रात नौ बजे वह वापस लौटेगा और पत्नी को पीटेगा
बच्चे ज़ोर-ज़ोर से चीख़ेंगे
फिर टी.वी. चलेगी और वह सो जाएगा
सब शांत हो जाएगा
और तब उसके रोने की आवाज़ रह-रह कर आती रहेगी
दो साल पहले वह शादी करके आई
तो दोनों के हँसने की आवाज़ें रात आती रहती थीं
वे ऊपरी मंजिल के कमरे में रात दौड़ते थे
और उसकी पायल नीचे तक बजती थी।
आप भी ऐसा क़िस्सा जानते हैं
ऐसा क़िस्सा हर कोई जानता है
सबकी फ्लैट से ऐसी ही आवाज़ें आती हैं
पहले हँसने की फिर रोने की।
सुनिए सुनिए कॉलबेल बजी
रात के नौ बज गए हैं।
- रचनाकार : सोमप्रभ
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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