कहीं ज़िंदगी में हम-तुम संयोग ऐसा पाएँ
kahin zindagi mein hum tum sanyog aisa payen
बलबीर सिंह 'रंग'
Balbir Singh 'Rang'
कहीं ज़िंदगी में हम-तुम संयोग ऐसा पाएँ
kahin zindagi mein hum tum sanyog aisa payen
Balbir Singh 'Rang'
बलबीर सिंह 'रंग'
और अधिकबलबीर सिंह 'रंग'
कहीं ज़िंदगी में हम-तुम संयोग ऐसा पाएँ
कभी गीत तुम सुनाओ, कभी गीत हम सुनाएँ
आकाश गुनगुनाए
धरती न बोल पाए
जो भी हो जिसको कहना
कभी सामने तो आए
कहीं यामिनी में हम-तुम संयोग ऐसा पाएँ
कहीं कभी दीप तुम जलाओ, कभी दीप हम जलाएँ
नहीं चाहते सितारे
कभी चाँदनी पधारे,
रहें मेघ सिर पटकते
सौदामिनी के द्वारे
कहीं चाँदनी में हम-तुम संयोग ऐसा पाएँ
कभी तुम हमें मनाओ, कभी हम तुम्हें मनाएँ
कह तक न पाऊँ, ऐसा
उन्माद भी नहीं है
कुछ कहते डर रहा हूँ
कुछ याद भी नहीं है
कहीं बेबसी में हम-तुम संयोग ऐसा पाएँ
कभी याद तुम न आओ, कभी याद हम न आएँ।
- पुस्तक : कविता सदी (पृष्ठ 290)
- संपादक : सुरेश सलिल
- रचनाकार : बलबीर सिंह 'रंग'
- प्रकाशन : राजपाल एंड संस
- संस्करण : 2018
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