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जो कहना चाहता था

jo kahna chahta tha

शहंशाह आलम

शहंशाह आलम

जो कहना चाहता था

शहंशाह आलम

और अधिकशहंशाह आलम

    एक स्त्री अपने दिन को

    उपजाऊ बनाती है पूरे जतन से

    एक पुरुष इस दिन से निकालता है

    अपने लिए एक नया जीवन

    स्त्री के आकाश को

    नए शब्दों नए वाक्यों नए मुहावरों से भरता

    यही-यही कहना चाह रहा था

    मैं एक स्त्री के साथ जीते हुए

    जो आज तक नहीं कह पाया उस स्त्री के साथ

    अपने करोड़ों दिन गुज़ारते।

    स्रोत :
    • पुस्तक : थिरक रहा देह का पानी (पृष्ठ 20)
    • रचनाकार : शहंशाह आलम
    • प्रकाशन : बोधि प्रकाशन
    • संस्करण : 2018

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