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जिसने प्रेम किया है

jisne prem kiya hai

सौरभ राय

सौरभ राय

जिसने प्रेम किया है

सौरभ राय

और अधिकसौरभ राय

    उसके होंठों की सनसनी

    तुम्हें वर्षों बाद अपने मुँह पर

    च्विंगगम-सी चिपटी मिलेगी

    तुम मायूस हो जाओगे

    मगर उस टूटे आईने में जो कि तुम ख़ुद हो

    मुस्कुराते दिखाई दोगे

    तुम्हारे सीने में दबी उसकी हँसी

    प्रेशर कुकर में पॉपकॉर्न के दाने-सी लुढ़कती

    अचानक फूटकर बन जाएगी फूल

    और तुम पाओगे प्रेम और कुछ नहीं

    तुम्हारे अंदर घुमड़ता ख़ूब पानी से भरा

    एक बादल भर है

    एक परिचित स्वर

    रॉन्ग नंबर बोलकर काट देगा फ़ोन

    तुम ठिठके रह जाओगे जैसे जलता कपूर

    बिना राख छोड़े गंध बन बिखर जाता है

    सभी आँखें ताकेंगी तुम्हारी ओर, और तुम

    बिना आवाज़ किए रोओगे

    तुम नदी की दिशा में उतरते चले जाओगे

    क्रमबद्ध बीतेंगे स्ट्रीट लाइट

    लंबी छोटी होती रहेगी तुम्हारी परछाई

    शामें टूट जाएँगी हाथ से फिसलकर

    और तुम पाओगे प्रेम आकाश में थोड़ी-सी जगह है

    जहाँ चील झपटते हैं एक दूसरे पर

    जहाँ पतंग काटते हैं दूसरे की कन्नी

    तुम बहुत नीचे उतरते चले जाओगे

    सबसे गहरे जंगल के एकांत में

    जैसे मकड़ी जकड़ती है धूप अपने जाले में

    जैसे माटी जकड़ती है आम की आठी

    प्रेम जकड़े रखेगा तुम्हें

    साथी!

    यहाँ आकर देखो

    जिसने प्रेम किया है बताएगा :

    बचपन की रेडियम घड़ी दिखाने को तुम

    मुट्ठी भर अँधेरा करोगे

    कलाई पर चक-चक चमकेगा

    उसका स्पर्श।

    स्रोत :
    • रचनाकार : सौरभ राय
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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