स्त्री
istri
एक
उसने सोचना शुरू किया
उसे आहट सुनाई दी
उसने क़दम बाहर रखा
उसे आहट सुनाई दी
उसने प्रेम करना चाहा
उसे आहट सुनाई दी
उसने घर बसाया
उसे आहट सुनाई दी
उसने मरना भी चाहा तो
आहट सुनाई दी।
दो
बंदिशें थीं और
चेहरा
सपाट-भावहीन का
भरोसा हुआ और
वह
रो पड़ी।
तीन
सरेशाम ही वह लैंप-पोस्ट जलता है
कैसे-कैसे आँधी-पानी और
रहगुज़र के बीच भी
सरेशाम ही वह लैंप-पोस्ट
जलता है।
चार
उसने जब-जब उचककर देखा
आज़ादी भा गई
बाहर बाज़ार था
हल्दी, धनिया, नमक, सलाई
सब हाज़िर थे
लेकिन आज़ाद स्त्री उनसे गिरफ़्तार होकर
लौटती अपने घर
तीसरे पहर हर बार।
पाँच
कैलोरी : तवे की आख़िरी रोटी
ज़ुबान : दूसरे के दाँतों में भिंची
निगाह : दूसरी निगाह के नीचे-नीचे
चलती है
ठहरती है
आँसू : समय मुक़र्रर करके
अकेले में
हँसी : हँसने की मनाही है
क्योंकि हँसने से स्त्री
फँस सकती है
फँसने की सख़्त मनाही है।
- पुस्तक : जो सुनना तो कहना ज़रूर
- रचनाकार : राजेश शर्मा
- प्रकाशन : आधार प्रकाशन
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