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इस तरह के सुनसान में

is tarah ke sunsan mein

भगवतीलाल व्यास

भगवतीलाल व्यास

इस तरह के सुनसान में

भगवतीलाल व्यास

और अधिकभगवतीलाल व्यास

    मैंने बहुत दिनों से

    नहीं लिखी कोई कविता

    कविता लिखने बैठा

    तो लिख गया महँगाई, भ्रष्टाचार

    राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समस्याएँ

    पर नहीं लिख पाया कविता।

    तुम्हारी छवि नाचती तो रही

    मेरी आँखों के सामने

    पर काग़ज़ पर उतरते-उतरते

    लुप्त हो गई और काग़ज़ पर

    उग आईं दीवारें, आँगन और छप्पर

    मैं बार-बार / खोजता रहा वह खिड़की

    जहाँ तुम मुस्कुराती खड़ी रहती थी

    कई बरस पहले।

    लेकिन खिड़की की जगह

    सफ़ेद पलस्तर के सिवा

    मुझे कुछ नहीं दिखा / कहाँ गई होगी तुम

    कैसी होगी इन दिनों

    मैं बार-बार पूछता हूँ दीवारों से

    पर दीवारें तो / प्रत्युत्तर नहीं देतीं

    प्रत्युत्तर देना दीवारों का

    स्वाभाव ही नहीं रहा कभी।

    लेकिन प्रत्युत्तर हो तो

    अगला सवाल ही नहीं सूझता मुझे

    इस तरह एक सुनसान / पसरा हुआ है इस वक़्त

    मेरे और दीवारों के बीच

    और मुझे लगता है कि इस सुनसान में

    और तो सब कुछ हो सकता है

    पर नहीं हो सकता प्रेम—

    नहीं लिखी जा सकती कविता।

    स्रोत :
    • पुस्तक : आधुनिक भारतीय कविता संचयन राजस्थानी (1950-2010) (पृष्ठ 65)
    • रचनाकार : भगवतीलाल व्यास
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2012
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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