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इस एक विशिष्ट शब्द को प्राप्त करने के लिए

is ek wishisht shabd ko prapt karne ke liye

शेषेन्द्र शर्मा

शेषेन्द्र शर्मा

इस एक विशिष्ट शब्द को प्राप्त करने के लिए

शेषेन्द्र शर्मा

और अधिकशेषेन्द्र शर्मा

    इस एक विशिष्ट शब्द को प्राप्त करने के लिए/तुम कल्पना नहीं कर

    सकते/कि कितनी गहराई तक परिश्रमपूर्वक मुझे/अपनी आत्मा की

    तहों को खोदना पड़ा है/रक्त चिह्नों को धरती को अर्पित करते हुए/

    अपने रक्तस्नात पाँवों से/मैं उड़ते हुए पंछियों के साथ भागा हूँ।

    मैं पुष्प संन्यासियों में सम्मिलित हो कर/अरण्यों में/गहन तपस्या

    के रंगों में निमग्न हुआ/आर्कटिक क्षेत्रों में शरीर को मसलती हुई आने

    वाली जंगली हवाओं के/कंधा से कंधा मिला कर मैंने कर्कश आवाज़ों

    का अभ्यास किया।

    और स्वयं को अनियंत्रित चक्रावातों में मिश्रित करके/हथेली पर

    रख कर/विशाल समुन्दरों की ओर फूँक मार कर उड़ा दिया।

    अंत में पहाड़ों की गोद को देवालय बनाकर मैं ईश्वर बन गया/

    तब सृष्टि के सारे शब्द/सिरों को प्रकाशचक्रों से मंडित करके/

    आकाश के नील पथों पर भीड़ बने/मुझे एक अद्भुत तृप्ति से देखने

    लगे/किंतु अब मैं शुद्ध निःशब्दता में विलीन हूँ/मेरी स्थिति इतनी

    गहन है कि जिसकी तह तक कोई पहुँच नहीं सकता/मेरे लिए अब

    कोई सूर्योदय नहीं/कोई सूर्यास्त नहीं/कोई रंग नहीं/कोई राग नहीं/

    और कोई अनुभव भी नहीं/जिससे मानव-इन्द्रियाँ परिचित हैं।

    यही वह क्षण है/जो मुझे निचोड़ कर तुम्हें/एक अलभ्य अर्थ का/

    भारी ऊष्ण बिंदु प्रदान करता है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : शब्द इस शताब्दी का (पृष्ठ 59)
    • रचनाकार : कवि के साथ भीम सेन 'निर्मल', ओम प्रकाश निर्मल
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन
    • संस्करण : 1991

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